मंगलवार, 19 जनवरी 2010

एक ब्लोग कहानी में एक टिप्पी होती है , एक टिप्पा होता है

आज तेताला पर नए चिट्ठों की चर्चा की शुरूआत तो मैंने कर दी है , उम्मीद है कि आप सबको वो पसंद आएगा ,और अब ये टिप्पणी चर्चा भी आ गई , अब तो आप बस रफ़्तार देखते जाईये और नए अंदाज़ भी , लीजीये मजा टिप्पों का


बाबा समीरानंद जी के ब्लोग प्रवचनमाला में

Udan Tashtari said...

जय हो बाबा ताऊआनन्द महाराज की. बहुत बढ़िया प्रवचन रहा ललित जी की जिज्ञासा निवारण के लिए.

रचना जी किन बच्चों कें विषय में बात कर रहीं हैं, जरा पता करियेगा.

साधु सन्त किसी के विरोधी नहीं होते. वो तो जीवन जीने का मार्ग बताते हैं.


जय हो!! जय हो!! जय हो!!


हमारा टिप्पा :-का हो उडन जी , ललित जी के प्रश्न सुन के ही मन एकदम ललित (प्रसन्न ) हुई गया। ऊपर से बाबा जब अपना परवचन दिए रहे तो लगा कि चलो कौनो तो है जो बच्चा सबको सीख दे सकता है । अरे बच्चा सब समझ रहे हैं न , कि ई में मौज मौज में बच्चा सब को लुच्चा सब मत न समझ लीजीएगा । अरे जान रहे हैं कि आप ई सोच रहे होंगे कि ई झाजी बार बार समझ रहे हैं न .....समझ रहे हैं न ....काहे कह रहे हैं अरे आप ठहरे एलियन ..जब देखो विचरते रहते हैं ...........इहां तो लोग जैसे ही फ़ुर्सत में आए कि ........बस टैण टैणेन ...टैनेने टैनेने ...का फ़मझे जी

गिरिजेश राव जी, अरे उहे आलसी लंठ जी के ब्लोग कवि और कविताएं पर
Arvind Mishra ने कहा…

सुबह सुबह ही विद्युत् स्पर्श करा ही दिया न भाई ....शब्द शब्द स्फुलिंग ...
.क्या कहूं -बड़े होने की गरिमा का भी तो खयाल रखना है ....
अब आपके टिप्पणीकार निश्चित ही घटेगें -सांत्वना यह कि पाठक बढ़ेगें !
क्या चाहिए वत्स तुम्हे ,पाठक या महज टिप्पणीकार ? अब तुम हो अपनी नियति के निर्णायक


हमारा टिप्पा :- का मिसर जी गोया आप तो ऐसे न थे, बताईये तो लंठ बाबू को पूछ रहे हैं कि बताओ भैय्या विक्रम कि बेताल .....कौन पढे सब हाल ??मुदा जब भी टिप्पणीकार की बात होती है ई आप लोग हमको भूल के .....अरे आप तो मिश्रा /चौधरी/ को भी भूल कर पाठक जी को कमान दे देते हैं संभालने के लिए । और ई गिरिजेश बाबू से पूछने का कौनो फ़ैदा है का । अरे ऊ जो बाऊ कथा बांच रहे हैं उ सबके बस का समझना है का । हम तो उनको कहिए दिए हैं कि चाहे कौनो पाठक /झाजी आ कि कौनो पाजी पढे न पढे, समझे ....मगर वो हिंदी ब्लोग जगत के एक धरोहर तो हईये हैं ....एक ठो आलसी धरोहर ...॥


कस्बा में ऐसा कहा श्री जे सी ने :-

JC said...

दारू से याद आया की कभी एक कव्वाली सुनी थी, जिसमें उन्होंने पुलिस के 'पी' का मतलब समझाया था, जैसे दिल्ली के डीपी का मतलब 'डेली पी', पंजाब के पीपी का मतलब 'पी', और फिर फिर 'पी', आदि आदि समझाया :) टीवी पर भी कई बार एचपी के द्वारा 'हदसे ज्यादा पी' के दृश्य देखने को भी मिले हैं - उसको सार्थक करते हुए :)


हमारा टिप्पा :- का जे सी साहब , दारू से याद आया , का जी मुआं ई दारू न हुआ बदाम का टौनिक हो गया जी आयं । आउर याद का आया , पी माने पी , पीपी, डीपी, सीपी ,........माने पी का तो कंपल्सरी मीनींग तो सिर्फ़ दारू ही हुआ न । ओइसे इस हिसाब से अपने टिप्पी का मतलब हुआ ........टी माने टीपो ...और पी माने ...फ़िर मन करे तो पढ भी लो ....इसे ही कहते हैं टीप । वाह आजे इस आईडिया का पेटेंट ...अरे नहीं पीटेंट कराते हैं ..व्हाट एन आईडिया सर जी ॥

अभिषेक बाबू के ओझा उवाच पर आलसी जी उवाचे हैं :-

गिरिजेश राव उवाच

बड़ा लेट कर दिए छापने में। डर पर काबू पाने में समय लगता है। अच्छा किए यहाँ के स्थायी निवासी ब्लॉगरों का नाम नहीं दिए नहीं तो उनका तो ....:)
भाई, स्थिति इतनी खराब भी नहीं है। काहें हमरे ऊपी को ..? अब देखिए द्विवेदी जी भी वही बात कर रहे हैं। ऊपी लीडर है बाकी फॉलोवर।
सर्वजन जी से जब मुलाकात होगी, बताएँगे।

तमाम योजनाओं के गलियारों में वह बिला गए हैं। शोर इतना है कि उनकी पुकार भी नहीं सुनाई पड़ रही, कैसे उन तक पहुँचूँ?
January 19, 2010 9:00 AM

हमार टिप्पा : - का हो आलस भाई , ओझाजी का पोस्ट हो तो ऊ पर तो आपका लंठई देखते ही बनता है । उपी लीडर है , सचे कह रहे हैं का । आप कह रहे हैं तो मानना तो पडेगा ही मुदा सुने हैं कि लीडर जो है न उपी का उ सब एक ठो इटलानी (माने इटली की जनानी ) के आगे ....अरे नहीं नही उनके तिआग के आगे फ़ेल है जी । आ पूरा देश ...ई दधिचाईन ( दधिचि के बाद एतना बडा त्याग अब जाके किया है कोई ) के आगे ...जय हो हो गया है ...जय हो ।

अवधिया जी के देश में फ़रमाईन हैं :-

dhiru singh {धीरू सिंह}, January 19, 2010 3:46 PM

हम तो खुश थे पीछा छूट गया था पढाई से लेकिन यहां भी . ठीक ही है हिन्दी मे ब्लोगिग करने से पहले रिविजन हो जाये तो अच्छा है

हमार टिप्पा :-अच्छा अच्छा इहां रिवीजन और क्लास टेस्ट लिया /दिया जा रहा है । अवधिया जी का ट्युसनिया क्लास तो सब बचवा ब्लोग्गर सब को ज्वाईन अरे नहीं नहीं एडमिशन ..अरे धत तेरे कि उ का कहते हैं जी प्रवेश लेना न पडेगा । ओईसे सुने हैं कि जल्दीए ई पर घोर आपत्ति जताई जाएगी कि ब्लोग्गर बाबा पर आप लोग अईसे हिंदी का मुहिम नहीं छेड सकते हैं काहे से कुछ लोग हैं इंग्रेजी प्रेम वाले अभी भी । अरे इंग्रेज नहीं है ............मुदा पता नहीं ...हिंदुस्तानी भी नहीं हैं ......जी कसम से ....गौड प्रामिस ...


मन का पाखी में :-

HARI SHARMA said...

आपके इस लघु उपन्यास से एक बात तो जेहन मे साफ़ हो गई है कि अगर कोई लडकी प्रकट मे बेरूखी दिखा रही हो तो ये नही समझना चाहिये कि वो वास्तब मे आपको पसन्द नही करती है और नेह की बारिश से अन्गारो की गरमी भी निकल जाती है.

हमारा टिप्पा :- का हरि भाई , इत्ता सीरीयसली ले लिए । ई तो आप एकदम हरि भाई, अरे अपने संजीव कुमार जी जैसे संजीदा टाईप हो गए जी । नेह की बारिश .........अंगारों की गर्मी .......सबै ..वेलन्टाईन डे का असर है जी । हम जानिए रहे थे कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ,...ऊ का साईड इफ़्फ़ेक्ट ...इ वेलेन्टाईन डे पर भी पडबे करेगा । हरि बाबू तनिक ई लघु वर्जन को और विस्तार दिया जाए जी । हम चाहेंगे कि बारिश ....अरे उहे नेह की बारिश के बाद ....और फ़िर अंगार की गर्मी हो कि भंगार की गर्मी ..........का सचित्र वर्णन किया जाए ।

बिल्लन के खेल खुल्लम खुल्ला में :-

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...

मुरारी बाबू! लगता है हेबीचुअल ओफेंडर हो गए हैं। दस नंबरी घोषित न हो जाएँ।

हमार टिप्पा :- हा हा हा ,,,,अरे सर ई मुररिया तो इहां का परमानेंट दस नंबरी .....अरे द्से काहे ..पता नहीं केतना नंबरी है ...पच्चीस पचास का दंड तो उ बेचारा को ...स्माईली भी लगा दे तो डा झटका ...जोर का झटका लगा देते है उ को । हम तो ऊ बचवा को सजेस्ट किये थे कि ....ए मकरंद ......तुम्हारा परफ़ार्मेंस जब कंसिस्टेंटली एतना बढिया है तो .....मकरंद की जहग अपना नाक ........मकदंड काहे नहीं धर लेते हो जी । आगे तो उ डाक्टरवा जाने कि ताऊ की बिल्लनियां ..॥
ललित शर्मा जी के ब्लोग पर अईसन टीपे हैं

पी.सी.गोदियाल, १९ जनवरी २०१० १०:३६ AM

बात तो बहुत उम्दा कही आपने कहानी के माध्यम से,
लेकिन एक गुस्ताखी करना चाहता हूँ ! क्या आप और मैं ऐसा कर सकते है ?मान लीजिये कि आज ड्राई डे है और ठण्ड की वजह से आपकी बड़ी इच्छा हो रही है कि..... आपके पास आज शाम को बो... में बस गिलास में डालने के लिए एक ही दफे का मौजूद है ! आप सुरु करना ही चाहते थे कि मैं पहुँच गया! तो क्या आप फोर्मलटी के लिए पूछोगे कि गोदियाल जी , आप लेंगे ? अगर यही सवाल आप मुझसे पूछोगे तो मैं कहूंगा कि बिलकुल नहीं मैं तो लिलास घताक्कर पूछता कि और ललित जी , कैसे आना हुआ ? हा-हा-हा-हा-हा ............कलयुगी साधू :)


हमार टिप्पा :- आज ड्राई डे है ...मान लीजीये ...अरे काहे मान लें । ई सरकार के कहने से माना जाता है का ई सब , हां ठंड की वजह से आपकी इच्छा हो रही है ........कि बो में बस ..........आयं बो में बस ..........ई कौन है बस है गोदियाल जी जिसमें खाली एकेठो सवारी चढ सकता है जी । अरे मान भी लिया ...मानेंगे कैसे नहीं ..अभी ऊपर माने हैं कि नहीं ...तो कह रहे थे कि मान भी लिया कि एकेठो सवारी चढ सकता है ..तो कंडक्टर को लटकने से तो आप नहींये रोक सकते हैं न । और गिलास गटक जाने के बाद पूछते आप .......आपको का लगता है शर्मा जी तब तक इंतजार करते ...तब तक तो खींच मारते ...........और आप ज्यादा नाराज़ होते तो ....आपको एक लिंक पकडा देते .....हम चर्चाकार लोगों को लिंक का ही ध्यान रहता है न हमेशा ॥


खुशदीप जी के देशनामा पर :-

'अदा' said...

छिछोर्दीप जी,
आपकी छिछोरी पोस्ट का हम अपनी छिछोरी टिपण्णी से छिछोरा जवाब न्यूटन के तीसरे छिछोरे नियम से छिछोरे तरीके से छिछोर कर दिए और आपसे इतना भी नहीं हुआ कि इस छिछोरी टिपण्णी का एक छिछोरी ही बात कह कर हमको अपनी छिछोरियत से परिचित करवाते...कैसे छिछोरे है आप ? छिछोरियत में भी छूट गए आप....छि छि...:):)
January 19, 2010 7:12 PM

हमार टिप्पा :- हम तो पहिले ही शाहिदवा को कहे थे कि रे छौडा....ई जो तुम स को फ़ कह कह के सारा शब्दावली बिगाड दिया है न देखना ई का प्रभाव अभी पडे न पडे .....सूर्य ग्रहण के बाद जरूर पडेगा ...। देखो हुआ न ....एक तो छुशदीप भाई ने ....एक ठो कमाल की छिछोरी छोस्ट लगाई और ढेरों टीपें पाई । बेचारा न्यूटनवा को का पता था कि ब्लोग्गिंग में ऊ का नियम का एतना घातक टाईप व्याख्या होगा । ई खबरची सब जो न करे जी । ऊपर से बकिया कसर अदा जी निकाल दी हैं । जय हो छिछोरापन हिट है सुपर हिट ....


तो अब जाएं जी ....

11 टिप्‍पणियां:

  1. खा भाई ये नया रूप खूब पसन्द आया. आपकी भी रह गई और हमारी भी. अब पता चला कि टन्की पे चढे को उतारने के क्या फ़ाय्दे है. आपके सुझाब पे अमल होगा और टिप्पणी को बढाकर इसे पोस्ट बना देन्गे. प्यार बनाये रखे नही तो टन्की हमने भी देखी है. हा हा

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  2. क्या कहें टैण टैणेन ...टैनेने टैनेने . बस, अउर का झा जी..समझ रहे हैं न :)

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  3. का झा जी,
    हम झूठ कोई बोले थे...अभिनव बिंद्रा से नया नया शूटिंगवा सीखे और पहले ही टिप्पे में गजब ढा दिए हो...झा जी, अब ब्लॉगिंग का गोल्ड मेडलवा लेकर ही बाज़ आए जी...

    जय हिंद...

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  4. "एक ब्लोग कहानी में एक टिप्पी होती है , एक टिप्पा होता है"

    कभी दोनों हँसते हैं, कभी दोनों रोते(?) हैं ...

    "आज ड्राई डे है ...मान लीजीये ...अरे काहे मान लें ।"

    सही टिप्पा है जी, काहे मान लें?

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  5. बहुत लाजवाब, मजा आया जी.

    बसंत पंचमी की घणी रामराम.

    रामराम.

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  6. ....बसंत पंचमी की शुभकामनाये और बधाई.

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हमने तो आपकी टीपों पर एक टिप्पा धर दिया अब आपकी बारी है
कर दिजीये इस टिप्पा के ऊपर एक लारा लप्पा