शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

होलिया में भर गया रंगों का पीपा , कौन भंगिया के कहां पे टीपा …फ़िर हम बनाए टैण टैनेन ………

 

पिछले दिनों जो सब हुआ उसको एक दम धना धन गोली मारते हुए हमने सोचा कि कुछ अपना और आप सबका भी मूड बनाया जाए ..सो धर दिया आपकी टीपों पर वही टप टप टपाक ..यानि टैण टैनेन

 

दीपक के मसि कागद पर दीपक की कान खिंचाई चालू आहे

 

निर्मला कपिला said...

वाह वाह मै भी कहूँ कि इतने दिन से बच्च कहाँ गायब है तो सब को धुनने की तयारी कर रहे थे--- कमाल की पोस्त {पोस्ट] बनी है सब को एक एक डोडी खिला कर मस्त कर दिया। कमाल की पोस्ट है। बस इसी नशे मे होली मना रहे हैं सब। बहुत बहुत आशीर्वाद।
हाँ बिना बताये गायब होते हो तो चिन्ता लग जाती है आज तुम्हारा फोन आया तो तसल्ली हुयी। खुश रहो

टिप्पा टैण टैनेन :- अरे निर्मला जी ई बच्चा बहुत शैतान मासूम है ..गायब हो रहा है तो  समझिए कि लगा होगा कौनो खुराफ़ात में ..ओईसे भी होली का टेम है ..कौनो मेम को गोरा से रंगीन करने मे लगा होगा ..तभिए देख रही हैं न कईसे सबको दुलाईना में लपेट कर रख दिया …..फ़ोन तो हमको भी किया था आजे…कह रहा था हैप्पी होली जी

सतीश सक्सेना जी ने कहा लाईट ले यार तो :-

अनूप शुक्ल said...

आजकल हर गुर के साथ नमूना मांगा जाता है! आप एक सफ़ल ब्लॉगर हैं। जो गुर बताये उस तरह आपने यदि कोई पोस्ट लिखी हो तो उसका लिंक बतायें! कौन से ब्लॉगर आपके भक्त बने उनका भी अता-पता दें तो अति उत्तम!

 

टिप्पा टैण टैनेन :- लीजीए  जब पहिले ही सतीश जी कह रहे है कि लाईट ले यार …मतलब एकदम हल्के से ले न यार ..तो एतना हेविया के काहे लिए जी फ़ुरसतिया जी …आजकल हर गुर के साथ नमूना मांगा जाता है ..अच्छा ई सेंपलवा देना जरूरी होता है का ….हमें तो लगा कि कहिएगा कि हर गुड के साथ एक ठो अईसन चेला का नमूना दिया जाना चाहिए जो ई चरितार्थ कर सके कि गुरू गुड ही रहे चेला चीनी हो गए …..इहां भी लिंक  ढूंढ रहे हैं …..ई सब चर्चाकार सबको सब जगह लिंके काहे बुझाता है बताईए तो तनिक फ़ुर्सत से

देशनामा पर pspo को भलीभांति समझते समझाते  हुए

 

डा० अमर कुमार said...


वर्ष के पहले हफ़्ते में मैंने गलत तो नहीं कहा था,
कि अक्सर तुम मेरी सोच को स्वर दे ही देते हो,
सो मैं आलसी हो गया हूँ । लिखना ऊखना कुछ नहीं बस बैठे बैठे टिप्पणियाँ फ़ेंकते रहो ।
इस पोस्ट ने एक बार फिर तसल्ली दी है,
मैंनें मसिजीवी की वह पोस्ट पढ़ी तो थी, टिप्पणी देकर उनकी टी.आर.पी. बढ़ाना नहीं चाहा । मुझ सा अहमी कोय, सो मैं स्वयँ ही अहँवादियों से बचता हूँ ।
GHETTO; इसका अपने साथियों के सँदर्भ में प्रयोग किया जाना मुझे भी नागवार गुज़रा । मूलतः स्पैनिश से उपजा यह शब्द नाज़ीयों ने अपना लिया क्योंकि यह परिभाषित करता था कि A slum inhabitated by minority group isolated due to social or economic pressures. ज़ाहिर है कि नाज़ी इसे जिस सँदर्भ में उपयोग किया करते थे वह तिरस्कारात्मक ही था ।
इस शब्द ने अमरीका तक की यात्रा में अपना चरित्र और भी मुखर किया । आज भी यह अपने तिरस्कारात्मक चरित्र को ही जी रहा है ।
हड़काऊ तर्ज़ पर यदि मात्र फ़ैशन के तौर पर इसे उछाला जाता है, तो भी कौन कहता है कि फासीवाद मर चुका है, या कि शब्दों में जान नहीं होती ?
तुस्सी साणूँ दिल खुश कित्ता खुशदीपे !

टिप्पा टैण टैणेन :- ई का कह रहे हैं महाराज डागदर बाबू हो …..लिखना उखना कुछ नहीं …..एक ठो बात बताईये तो ..आप जौन ही आधा आधा मील तक टिप्पिया रहे हैं ….आजकल तो बहुत लोग ईत्ता लंबा चौडाई में दुई ठो पोस्ट ठेल देते हैं तबो आप कह रहे हैं कि लिख नहीं रहे हैं …चलिए आप कहते हैं तो मान लेते हैं …ई ससुर घेटो को आज खूबे लपेट के घेंट पकड लिए ….हम तो सोचे थे कि डागदर बाबू हैं तो खाली नबज उबज पकड के बीमारी पकडते होंगे …मुदा आप तो घेंट पकड लिए और सीदा पटक दिए …..जय हो

ताऊ जी की पहेली को हल करते हुए

 

पी.सी.गोदियाल

Saturday, February 27, 2010 9:01:00 AM

ताऊ जी, सर्वप्रथम आपको और सभी मित्रों को
होली की शुभ कामनाये ! आपने मुझे बड़ा वाला प्रमाण पत्र न देने की तो कसम खा रखी है फिर भी बताये देता हूँ दिल्ली का छतरपुर मंदिर है !

टिप्पा टैण टैनेण :- हां हां आपको तो एतना बडका थाल तशतरी टाईप का भिजवाएंगे कि आप उसको अपने ब्लोग पर का अपने छत पर टाटा स्काई बना के लगा सकते हैं …लो कल्लो बात ..अरे गोदियाल जी ई भी पूछने वाला बात है ..इत्ता गलत जवाब देते हैं कि सुने हैं कि रामप्यारी भी मार शरम के ..अपना नंगरी उठा के चार बार घूम के लोट जाती है और कहती है कि ताऊ गोदियाल जी से कहो न कभी तो ……बाबा के मंदिर को देवी का मंदिर बता देते हैं

मिसर जी के कठिन नाम .वाले ब्लोग .अजी वही क्वचिदन्यतोअपि पर टिपियाते हुए

 

बी एस पाबला said...

मीनू पर लिखी वही सूची पोस्टर के बड़े अक्षरों सी साफ़ दिख रही थी
हा हा
इसे कहते हैं आंखें खुलना। पनीर ने बंद कर दी थीं ना!
रोचक संस्मरण
बढ़िया

टिप्पा टैण टैनेन :- आयं इत्ता भारीभरकम नाम रखे हैं मिसर जी हम लोगन को पसीना छूट जाता है ..ऊ ससुरे मीनू वाले को भी कह देते कि बेटा पहले बोल के बताओ ..फ़िर निपटाएंगे तुम्हारा क्वार्टर आउर फ़्लैट ….पनीर से आंख बंद ……ओह ई साईंस का बात हमरे पल्ली कभी नहीं पडता है जी …हम इता दिन सोच रहे थे कि पनीर से खाली पेट बंद होता है ….

राजीव तनेजा जी के होली फ़ैशन परेड में भाग लेते हुए :-

ललित शर्मा said...

हाय! खुशदीप बहना,
कितनी क्युट लग रही हो,
एकदम झकास, घायल कर दिया।
मुकुल बहना!
क्या अदा है क्या स्टाईल है
एक हाथ मे पॉडकास्ट
एक हाथ में मोबाईल है।
अब कैसे कोई हाथ मांगे
दोनो ही इंगेज है
बस जरा सी ठिठोली है।
बुरा न मानो हो्ली है।
राजीव जी बधाई हो
सभी हसिनाओं रुपसियों को होली की शुभकामनाएं।

टिप्पा टैण टैनेण :- ई खबर उडते उडते सुने थे कि एक ठो फ़ौजी ब्लागर एतना भां घोंट के पी लिए हैं कि ,…जाने केकरा बहना , सखी , सहेली बना दे रहे हैं ….ओईसे तो कसूर फ़ौजी मुछु बाबू का भी नहीं है ..ई अपने राजीव भाई टोकरी भर भर के लिपिस्टि पाउडर सिनुर टिकली ले के बैठ गए हैं और जाने कौन टाईप का नारी सशक्तिकरण करने पर तुले हुए हैं होली जाने तक तो जाने कित्ती ही मजबूर मूंछों वाली हसीनाएं …पैदा हो जाएंगी

फ़ुरसतिया जी के बिलाग पर भूत पटक…… घोस्ट बस्टर गहन टाईप विशलेषण करते हुए

 

Ghost Buster

February 27, 2010 at 12:22 pm | Permalink

महिला टेनिस, पुरुष टेनिस से ज्यादा आकर्षक होता है. पुरुष टेनिस में तो पॉवर गेम ने खेल का आनंद क्षत-विक्षत कर दिया है, पर महिलाओं में बावजूद विलियम्स बहनों के अभी भी कई अच्छी कलात्मक खिलाड़ी दिख जाती हैं.

महिला हॉकी भी देखना रोचक रहता है. शायद ही कोई खेल हो जहां महिलाएं अपने जौहर ना दिखा रही हों और बखूबी ना दिखा रही हों, यहां तक कि लेडीज़ सॉकर तक में जबर्दस्त खेल देखने को मिलता है.

लेकिन क्रिकेट में महिलाओं को खेलते देखने से ज्यादा डल और बोरिंग और कुछ नहीं हो सकता. क्रिकेट अपने मूल चरित्र में ही एक सुस्त खेल है. उसमें अगर कोई असली आकर्षण भरता है तो वो या तो सचिन, सहवाग जैसे बड़े हिटर हैं या ब्रैट ली, शेन बांड जैसे तूफ़ानी गेंदबाज. महिला क्रिकेट में ये सब नहीं देखने को मिलता. इसीलिये वहां ज्यादा आकर्षण नहीं बनता. उसकी अलोकप्रियता की यही वजह है.

तो फ़िर महिला क्रिकेट के रिकॉर्ड्स को कोई तवज्जो दे भी क्या? हां सचिन की इस अन्यतम उपलब्धि को पंक्चर करने के लिये ढूढ-ढांढ कर फ़ालतू के तथ्य लाये जा रहे हैं, बेवजह. मूर्खतापूर्ण.

 

टिप्प टैणेन :- आयं ये क्या खेल प्रेमी भूत पटक ….कित्ती गहरी पकड है जी आपकी और क्या पारखी नज़र है ..एक दम कसम से से इस नजर को किसी बजर बट्टू की नज़र न लगे ….एक दम ठीक कहा आपने सुना है कि लोग कह रहे हैं कि महिला क्रिकेटरों से ज्यादा आकर्षण तो …महिला चीयर गर्ल्स में महसूस होता है मीडिया को………….अब पता चला कि प्रेत भी कित्ता सोचते हैं …..मतलब मरने के बाद  यहां पढने और टिपियाने के लिए आना ही होगा …..

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

आप टीप के निकल जाते हैं, हम उसे यहां टिकाते हैं

 

भाई खुशदीप के देशनामा पर

Udan Tashtari said...

मेहमान-ए-खुसुसी :)
राज जी और कविता जी की उपस्थिति ने आयोजन को अन्तर्राष्ट्रीय बना दिया जी.
एक ही साल में यह असर खुशदीप ब्लॉगिंग का की यंगनेस जाती रही..अब समझ में आ रहा है मुझे अपने लिए कि चार साल में मेरी क्या दुर्गति हुई है वरना मियाँ, हम भी जवानों के जवान थे कभी. :)
महफूज़ की शादी तो खैर कई वजहों से जरुरी हो गई है, उसमें यह वजह और आ जुड़ी. अब तो मार्जिन बहुत बारीक बचा है. :)
दराल साहब का हरियाणवी किस्सा जोरदार रहा!
सरवत जमाल साहेब की उपस्थिति उल्लेखनीय रही. हमारे गोरखपुरिया भाई जी हैं.
खाने से ध्यान हटाने की कोशिश में अपना नाम और उल्लेख ठीक खाने के मेनु के बाद देखना कितना सुखद रहा कि क्या बताऊँ..सब आप लोगों का स्नेह है.
सब देख सुन कर आप सही कह रहे हैं हिन्दी ब्लॉगिंग के बढ़ते कदमों को कोई नहीं रोक सकता.
जय हो हिन्दी!! जय हो हिन्दी ब्लॉगिंग!! जय हो हिन्दी ब्लॉगर्स!!

February 8, 2010 11:51 PM

 

हमारा टिप्पा:-…बिल्कुले ठीक कहे हैं आप कि दुनो जन राज भाटिया जी और कविता जी के आने से हम लोग का मीट इंटरनेशनल लुक मिल गया , बस एक आप जाते तो हम लोग एस्ट्रोनौटिकल मीट कर लेते …..और गजब का शोर मच जाता कि …….इंसानो और एलियन जी ने भी आपस में की ब्लोग्गिंग मीट ।……..ई महफ़ूज़ भाई की शादी और भी बहुत कारण से जरूरी है ……अरे तो हमको समझ में नहीं आता कि ई महफ़ूज़ भाई अपनी लाईफ़ में से ई मोडरेशन काहे नहीं हटाते हैं ?? खाने के मीनू के बाद आपका नाम आया ……….एक दम ठीक आया ….उससे पहले आता तो ……बचता का ………न मीनू….न खाना ? केतना ध्यान रहता है ….भोजन पर । आईये आपके वाले ब्लोग्गर मीट में तो खास तौर से ब्लोग्गर व्रत मीट ( बताईये …व्रत और मीट ..एक साथ राम राम ) रखा जाएगा ॥

 

हमारे अपने ब्लोग पर :-

 

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi ने कहा…

एक दुकानदार किस्तों में सायकिल बेच रहा था। हमने उस से सौदा कर लिया। बस दस रुपया हफ्ता चुकाना था। हमने पहली किस्त के दस रुपए दिए। और कहा सायकिल कस दो। उस ने दस रुपए लेकर रसीद पकड़ाई और दुकान के अंदर से सायकिल का एक पैडल लाकर बोला। हर किस्त में एक आइटम दूंगा किस्तें पूरी होने पर पूरी सायकिल कस दूंगा।
अजय भाई अब लगता है कि किस्तें पूरी हो जाने पर रिपोर्टे को पूरी कस के एक बार और पढ़ना पड़ेगा।

 

हमारा टिप्पा:- का सर , ई कौन शहर में ई दुकान है बताईये तो , पता करिये न तनिक हफ़्ता में बीस रुप्पैया देने पर एक ठो स्कूटर लेना था । और कार वाला किस्त बता देते तो हम राज ग्वालानी भाई को कह देते एतना दिन ऊ बेकार न रहते खैर ।…हा हा हा …..हम भी सबसे आखिरी में हैंडल देंगे ….बिना उसको कसे आप आगे नहीं बढ पाईयेगा ।

 

रश्मि रविजा के ब्लोग पर :-

 

Arvind Mishra said...

हिंदी को समृद्ध करने के लिए दूसरी भाषाओं के शब्द भी समाहित करने चाहिए.सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं अगर संभव हो तो स्पेनिश,फ्रेंच,इटैलियन शब्द भी शामिल करने चाहिए.
बस यही है बाटम लाईन!

February 8, 2010 7:17 AM

हमार टिप्पा :- कि मिसिर जी , हमको पकिया आप कंफ़्यूजिया दीजीएगा । लोग बाग लिखेंगे स्पेनिश, फ़्रेंच , इटैलियन में , और पाठक ऊ पर टीपेंगे चाईनीज़ , जापानी, हिब्रू में …..और उस पर हम टिप्पा लगाएंगे …..भोजपुरी , मैथिली , संस्कृत में । एक ठो मलटी नेशनल , मल्टी लैंग्वेज, मल्टी डिलिशियस ……औरो जेतना टाईप का मल्टी है सब पलटी मार के आएगा उसमें ॥

गोदियाल जी के अंधड पे :-

 

पी.सी.गोदियाल said...

ताउजी, फिर तो अगली ब्लोगर मीट सियाचिन में न रख ले, हफ्ते भर के लिए :)

February 7, 2010 10:26 PM

 

ताऊ रामपुरिया said...

गोदियाल जी मैं आपके प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. समय दिनाकं तय करके पोस्ट द्वारा सभी को सुचित किया जाये.
रामराम.

हमारा टिप्पा :- ई का हो रहा है भाई । ई माजरा का है ? आयं ई एक जन प्रस्ताव दिये दूसरा जन समर्थन दे दिए और चल दिए दुनु जन सियाचिन पर ब्लोग्गर मीट करने । अरे आप दुनु चाचा ताऊ लोग हम बच्चा लोग के बिना कैसे जा सकते हैं जी । ऊ भी मोटापा कम करने के नाम पर । ओतेरे कि तब तो आप लोग जौन मीट करियेगा …उसमें जरूरे खाने पीने के लिए खाली ताजा हवा पानी मिलेगा ।………सुन रहे हैं न एलियन जी ….??? रामप्यारी भी हमरे साथ है । चलिए चीनी लोग के साथ भी होईये जाए एक ठो ब्लोगर मीट

ललित जी के ब्लोग पर :-

महफूज़ अली९ फरवरी २०१० ९:३५ AM

ओह! शुरुआत में आपने तो डरा ही दिया था..... मैंने अपना लाठी -बल्लम निकल लिया था.... फिर बाकी पढ़ा तो चैन आया..... पर इसी बहाने लाठी-बल्लम बाहर निकल आये.... उनको तेल पिला कर..मालिश वालिश कर के.... बरसात में धूप दिखा रहा हूँ.....
दस दिन तक आपकी कमी खलेगी.... पर मोबाइल है ना..... :)

हमारा टिप्पा :- अरे रे ! का ललित जी । ई अपना महफ़ूज़ भाई तो पहिले से ही लाल कच्छा पहन के सांड को गज़ल सुनाने के लिए तैयार रहते हैं , ऊपर से आप अईसन अईसन लीव एप्लीकेशन दीजीएगा तो ..लाठी बल्लम निकलबे करेगा । बताईये इहां तेल लगाने को नहीं है एक ऊ हैं नवाब साहब लठिया सब को ही पिला रहे हैं । एतना दंड काहे पेलते हैं जी …तभी न टरेन छूट जाता है ।अरे एतने बडका पहलवान हैं तो काहे नही wwf  में चले जाते हैं …..अरे मतलब गृहस्थ जीवन में जी और का

अजित जी के शब्दों के सफ़र पे :-

अविनाश वाचस्पति said...

वैसे भी अंगूर में अ है
इसलिए भी अच्‍छे हैं
आम में भी जुड़े हुए
अ के लच्‍छे हैं
खजूर का ख
उसे खट्टा बनाता है
और आंवला, इमली, अमचूर की
उपयोगिता बतलाता आपका सफर
सदा खट्टे मीठे का अद्भत स्‍वाद
मन में भीतर तक बहाता है।

February 9, 2010 7:22 AM

हमार टिप्पा :- ई लीजीए अजित भाई के शब्दों के सफ़र की क्लास में अविनाश भाई का ट्यूशन किलास …..फ़्री फ़्री फ़्री …..का धांसू औफ़र दिए हैं जी । तो पहुंचिए फ़टाफ़ट और सीखीए अ…..से अनोनोमस , ब से ब्लोग्गर …प से …पोस्ट….ट ….से टिप्पी …., टं ….से टंकी ….सफ़र जारी है ॥

ब्लोग औन प्रिंट की इस पोस्ट पर हम खुद :-

ब्लॉगर अजय कुमार झा ने कहा…

हा हा हा सर मैं इस बात की बधाई और मुबारकबाद सभी मित्रों और पूरे ब्लोगजगत को देता इससे पहले ब्लोगवाणी पर देखा कि ......आपके डेडिकेटेड ...मि. नापसंद ..अपना काम कर के जा चुके हैं ...यानि उन्हें ये भी नापसंद आया ...हा हा हा ..अभी हंस लेता हूं ..बाकी बातें बाद में
अजय कुमार झा

८ फरवरी २०१० ७:३२ PM

हटाएँ

हमार टिप्पा :- लो कल्लो बात अब ई हम अपने कहे पर ही टिप्पा दें ,  मुदा कानून तो कानून है ….सबके लिए बराबर और सबके लिए ही अंधा । अब का करें हमको लगता था कि हम लोग केतना डेडिकेटेड टाईप से घुसे हुए हैं ब्लोग्गिंग में । जब देखो पोस्ट टीप , टीप प्रति टीप , मीट ……..मीट मसाला …..मुदा जब से ई मि. नापसंद जी आए हैं ब्लोग्गिंग करने तभिए से सबको हिट सुपर हिट किए दे रहे हैं । कभी लोग बाग अंगूठा उठा के थ्म्स अप किया करते थे । अब ई साहब ..अंगूठा डुबा के पोस्ट अप करा देते हैं सबका