रविवार, 24 जनवरी 2010

ट्विस्टिंग टिप्पे……जैसे गोलगप्पे

सबसे पहले तो अपने अग्रज भ्राता श्रीमान टिपौती लाल झारखंडी जी का बहुत बहुत धन्यवाद कि ऊ सागर मंथन के तर्ज़ पर ब्लोग्गर मंथन करके ई नयका टेम्पलेट सलेक्ट करके सेट किए हैं , बस बताया जाए कि कैसा लगा …लगा न जोर से करेगा में ठां करके

 

खुशदीप भाई के देशनामा पे

 

 

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...

मियाँ जी, बहुत ज्ञानी हैं। अभी अभी पैदा हुए और ज्ञान दे गए। अभिमन्यु का तो पता था कि वह किस के गर्भ से पैदा हुआ और किसने उसे यह ज्ञान दिया। यह तो सच है कि कोई तो मियाँ जी को ज्ञान देने वाला रहा ही होगा।
इतना ही काफी है। मुझे तो सांख्य का तीसरा तत्व अहंकार'स्मरण' हो रहा है। समूची सृ्ष्टि का वही सूत्रधार है और अक्सर मानव मन में अनायास प्रकट होता रहता है।

January 23, 2010 11:49 PM

हमारा टिप्पा : मियां जी को गजबे लीगल सलाह दे दी ओकील  साहब ने , हम सोच रहे हैं कि ई बेचारे इलीगल मियां को एतना लीगली पटक दिए  कि अब चिचियाते फ़िर रहे होंगे । सुना है कि लोग बाग एतना चैलेंज़ कर दिया कि अब ऊ बर्थ प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं । बनते ही खबर किया जाएगा । अभी तो न प्रमाण मिल रहा है न कौनो पत्र ….बेचारे मियां जी

शशिभूषण जी के ब्लोग पर :-

 

काजल कुमार Kajal Kumar said...

फिर भी लोग हैं कि हाज़िरी बजाने चले रहते हैं \:)

January 23, 2010 10:55 AM

हमारा टिप्पा: का काजल बाबू ई कहिए न कि लोग बजाने चले जाते हैं , हाजिरी उजरी का तो पता नहीं मुदा बजा तो दईये देते हैं , कभी बैंड तो कभी पीपनी । ओईसे काजल भाई इहां तो ठीके है मुदा सुने हैं कि आप भी सबको एके वक्र दृष्टि से देख के बजा देते हैं ,ठीक है का ? अरे बाप रे कहीं यहां भी …..अईसन न हो कि काजल की ………कंप्यूटर काला ॥

स्मार्ट इंडियन जी के ब्लोग पर :-

गिरिजेश राव said...

शुभकामनाएँ भैया।
मेरे एक और भैया हैं जो अक्सर उन अकादमिक लोगों के बारे में बताते हैं जिन्हें संस्कृत का क ख ग भी नहीं आता और प्राचीन इतिहास एवं दर्शन के आचार्य बने बैठे हैं। उनका सारा शोध अंग्रेजी कुंजियों (शिष्ट भाषा - भाष्य) पर आधारित होता है और रोमन ट्रांसलिटरेशन में मूल को क़ोट करते हैं। पढ़ने को कहने पर अटकते हैं :)
अगली कड़ी की प्रतीक्षा है।
आत्महत्या के समय 'हिम्मत' नहीं क्षणिक उद्वेग या कई दिनों से जारी अति निषेधात्मक मनोभाव काम करता है इसीलिए पहचान और कौंसिलिंग महत्त्वपूर्ण है।

 

हमार टिप्पा : का कह रहे हैं प्रभु आपके भी भैय्या हैं एक ठो ….दद्दा रे दद्दा , बाप रे बाप , ऊहो आलसी हैं का ….अरे लंठ तो होईबे करेंगे , ब्लोग्गिंग में तो नहीं न आए हैं , आ गए तो बस समझिए गए जब उनका बताया मात्र से एतना घातक टीप निकल गया है तो ….आने के के बाद तो सब टैणेण हो जाएगा । आपका टीप भी हमको तो , कौनो बाऊ कथा से कम नहीं लगता है ॥

अदा जी के काव्यमंजूषा पर :-

manu said...

अभी पिछले दिनों अपने मेजर साब के साथ भी एकदम ऐसा ही हुआ था अदा जी...
जब हमने कमेंट दिया के आज के दिन तो आपकी पोस्ट आती ही नहीं है...तब जाकर उन्हें पता लगा...के एक पोस्ट समय से पहले ही खुद बी खुद छप गयी है....
इस गूगल बाबा के झमेले गूगल बाबा ही जाने....
इहाँ कुछ भी हो सकता है जी...

January 23, 2010 6:52 PM

हमार टिप्पा :- अरे ई गूगलवा जब देखो अईसन गडबड करते रह्ते हैं , कुछो ढंग का तो करते नहीं है ,ई तो होता नहीं है कि गूगल एडसेंस शुरू कर के बच्चा सब का भला करें अरे काहे के बाबा हैं यार एकदम बेकार है । बाबा से कहा जाए कि बाबा गडबड होती है कोई बात नहीं आल इज वेल ,,,मगर कुछ तो नकद भी ,,,फ़ुनसुक वांगडू न सही …चतुर रामलिंगम ही सही

हमरे ब्लोग कुछ भी कभी भी :-

 

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी सलाह!! इधर कुछ तबीयत भी नरम गरम सी है तो ज्यादा नये लोगों पर ध्यान भी नहीं दे पा रहे लिकिन इस दायित्व की तरह सभी को लेना चाहिये कि प्रोत्साहन दें.

२४ जनवरी २०१० ८:३३ PM

हमार टिप्पा :- ओह तभिए हम कहें कि ई ब्लोग्गरवा सब ई कंप्लेंट काहे कर रहे हैं कि कोई ब्लोग्गर तो ब्लोग्गर एक ठो मोस्ट आईडेन्टीफ़ाईड ओब्जेकट ,,,कोई एलियन जी भी टिपियाने नहीं आ रहे हैं , सब का सब मुंह बाए बैठा है बेचारा लोग ।ई दायित्व कौन ले सकता है , अजी इंसान लोग के बस है का एतना विचरन करना । आप लोग का भी तबियत खराब होता है ….यार ई एलियन लोग का डाक्टर कैसा होता होगा ….भारी सोच में पड गए

गिरिजेश राव जी के ब्लोग कविता और कवि पर :-

 

अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने कहा…

आप तो 'ऋषि' हुए न !
मंत्र द्रष्टा जो होता है ठीक वही ! ... हमें भी मुनि ही / भी बनाइये न !
बचपन का दवात वाला बिम्ब जिसमें स्याही घोली
जाती थी , याद आ गया .. आभार , साहब !

२४ जनवरी २०१० ६:३६ PM

हमार टिप्पा :- लीजीए ई भी ठीक रहा त्रिपाठी जी , आलसी , लंठ तो हईये थे आज आप एक ठो नयका नाम भी धर दिये इनका रिषि मुनि । ई एतना शब्द साधाना करते हैं कि इनका नाम मुनि तपस्वी टाईप का होना कंपल्सरी हो गया था । आपहु मुनि जी बनना चाहते हैं बनिए बनिए ,,,,फ़िर हम लोग बाबा जी वर्सेस मुनि जी का ट्वेंटी मैच कराएंगे और टिकट भी लगेगा , मैच की सारी राशि ब्लोग्गर पेंशन फ़ंड को दान में दी जाएगी । व्हाट एन आईडिया सर ॥

बिल्लन के खेल खुल्लम खुल्ला फ़र्रुखाबादी पर

Yashwant Mehta said...

एक सासु अपनी बहु से बोली
मेरा बेटा शादी से पहले कुत्ता था, शादी के बाद गधा हो गया

24 January 2010 19:48

हमार टिप्पा :- यार ये तो हर एंगल से मरदावा सब को ऐनिमल बना दिया है । ओईसे गधा कुत्ता दोनों ही बेचारा टाईप है जो फ़ट से बियाह के लिए मान जाता है । मगर यार यशवंत भाई एक बात तो बतईबे नहीं किए कि शादी के बाद प्रमोशन होता है कि डिमोशन । रहता तो बेचारा एनिमल प्लेनेट चैनल का हीरो ही ॥

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया झारखंडी जी हम भी धन्यवाद कहते है भाई!!

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  2. टिप्पा ठप्पेदार है। हम से ही सुरू>>>>

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  3. एक से एक टिप्प्र में हमहिं टिप्पा खा गये. अब डॉक्टरवा के कौनो सेंग पोंछ तो न ही हुई..

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  4. टिप्पा टिप्पा चर्चा चले,
    टिप्पा टिप्पा चर्चा चले,
    ब्लॉगवुड के मियांजियों के दिल जले,
    हो...टिप्पा टिप्पा चर्चा चले..

    जय हिंद...

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  5. टिप्पा टिप्पा चर्चा चले,
    टिप्पा टिप्पा चर्चा चले,
    ब्लॉगवुड के मियांजियों के दिल जले,
    हो...टिप्पा टिप्पा चर्चा चले..

    जय हिंद...

    हाँ हाँ जानते हैं चोरी करना पाप है...
    लेकिन कर लिए हैं कल्लो जो कलना है....हा हा हा

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हमने तो आपकी टीपों पर एक टिप्पा धर दिया अब आपकी बारी है
कर दिजीये इस टिप्पा के ऊपर एक लारा लप्पा