पिछले दिनों जो सब हुआ उसको एक दम धना धन गोली मारते हुए हमने सोचा कि कुछ अपना और आप सबका भी मूड बनाया जाए ..सो धर दिया आपकी टीपों पर वही टप टप टपाक ..यानि टैण टैनेन
दीपक के मसि कागद पर दीपक की कान खिंचाई चालू आहे
निर्मला कपिला said...
वाह वाह मै भी कहूँ कि इतने दिन से बच्च कहाँ गायब है तो सब को धुनने की तयारी कर रहे थे--- कमाल की पोस्त {पोस्ट] बनी है सब को एक एक डोडी खिला कर मस्त कर दिया। कमाल की पोस्ट है। बस इसी नशे मे होली मना रहे हैं सब। बहुत बहुत आशीर्वाद।
हाँ बिना बताये गायब होते हो तो चिन्ता लग जाती है आज तुम्हारा फोन आया तो तसल्ली हुयी। खुश रहो
टिप्पा टैण टैनेन :- अरे निर्मला जी ई बच्चा बहुत शैतान मासूम है ..गायब हो रहा है तो समझिए कि लगा होगा कौनो खुराफ़ात में ..ओईसे भी होली का टेम है ..कौनो मेम को गोरा से रंगीन करने मे लगा होगा ..तभिए देख रही हैं न कईसे सबको दुलाईना में लपेट कर रख दिया …..फ़ोन तो हमको भी किया था आजे…कह रहा था हैप्पी होली जी
सतीश सक्सेना जी ने कहा लाईट ले यार तो :-
अनूप शुक्ल said...
आजकल हर गुर के साथ नमूना मांगा जाता है! आप एक सफ़ल ब्लॉगर हैं। जो गुर बताये उस तरह आपने यदि कोई पोस्ट लिखी हो तो उसका लिंक बतायें! कौन से ब्लॉगर आपके भक्त बने उनका भी अता-पता दें तो अति उत्तम!
टिप्पा टैण टैनेन :- लीजीए जब पहिले ही सतीश जी कह रहे है कि लाईट ले यार …मतलब एकदम हल्के से ले न यार ..तो एतना हेविया के काहे लिए जी फ़ुरसतिया जी …आजकल हर गुर के साथ नमूना मांगा जाता है ..अच्छा ई सेंपलवा देना जरूरी होता है का ….हमें तो लगा कि कहिएगा कि हर गुड के साथ एक ठो अईसन चेला का नमूना दिया जाना चाहिए जो ई चरितार्थ कर सके कि गुरू गुड ही रहे चेला चीनी हो गए …..इहां भी लिंक ढूंढ रहे हैं …..ई सब चर्चाकार सबको सब जगह लिंके काहे बुझाता है बताईए तो तनिक फ़ुर्सत से
देशनामा पर pspo को भलीभांति समझते समझाते हुए
डा० अमर कुमार said...
वर्ष के पहले हफ़्ते में मैंने गलत तो नहीं कहा था,
कि अक्सर तुम मेरी सोच को स्वर दे ही देते हो,
सो मैं आलसी हो गया हूँ । लिखना ऊखना कुछ नहीं बस बैठे बैठे टिप्पणियाँ फ़ेंकते रहो ।
इस पोस्ट ने एक बार फिर तसल्ली दी है,
मैंनें मसिजीवी की वह पोस्ट पढ़ी तो थी, टिप्पणी देकर उनकी टी.आर.पी. बढ़ाना नहीं चाहा । मुझ सा अहमी कोय, सो मैं स्वयँ ही अहँवादियों से बचता हूँ ।
GHETTO; इसका अपने साथियों के सँदर्भ में प्रयोग किया जाना मुझे भी नागवार गुज़रा । मूलतः स्पैनिश से उपजा यह शब्द नाज़ीयों ने अपना लिया क्योंकि यह परिभाषित करता था कि A slum inhabitated by minority group isolated due to social or economic pressures. ज़ाहिर है कि नाज़ी इसे जिस सँदर्भ में उपयोग किया करते थे वह तिरस्कारात्मक ही था ।
इस शब्द ने अमरीका तक की यात्रा में अपना चरित्र और भी मुखर किया । आज भी यह अपने तिरस्कारात्मक चरित्र को ही जी रहा है ।
हड़काऊ तर्ज़ पर यदि मात्र फ़ैशन के तौर पर इसे उछाला जाता है, तो भी कौन कहता है कि फासीवाद मर चुका है, या कि शब्दों में जान नहीं होती ?
तुस्सी साणूँ दिल खुश कित्ता खुशदीपे !
टिप्पा टैण टैणेन :- ई का कह रहे हैं महाराज डागदर बाबू हो …..लिखना उखना कुछ नहीं …..एक ठो बात बताईये तो ..आप जौन ही आधा आधा मील तक टिप्पिया रहे हैं ….आजकल तो बहुत लोग ईत्ता लंबा चौडाई में दुई ठो पोस्ट ठेल देते हैं तबो आप कह रहे हैं कि लिख नहीं रहे हैं …चलिए आप कहते हैं तो मान लेते हैं …ई ससुर घेटो को आज खूबे लपेट के घेंट पकड लिए ….हम तो सोचे थे कि डागदर बाबू हैं तो खाली नबज उबज पकड के बीमारी पकडते होंगे …मुदा आप तो घेंट पकड लिए और सीदा पटक दिए …..जय हो
ताऊ जी की पहेली को हल करते हुए
Saturday, February 27, 2010 9:01:00 AM
ताऊ जी, सर्वप्रथम आपको और सभी मित्रों को
होली की शुभ कामनाये ! आपने मुझे बड़ा वाला प्रमाण पत्र न देने की तो कसम खा रखी है फिर भी बताये देता हूँ दिल्ली का छतरपुर मंदिर है !
टिप्पा टैण टैनेण :- हां हां आपको तो एतना बडका थाल तशतरी टाईप का भिजवाएंगे कि आप उसको अपने ब्लोग पर का अपने छत पर टाटा स्काई बना के लगा सकते हैं …लो कल्लो बात ..अरे गोदियाल जी ई भी पूछने वाला बात है ..इत्ता गलत जवाब देते हैं कि सुने हैं कि रामप्यारी भी मार शरम के ..अपना नंगरी उठा के चार बार घूम के लोट जाती है और कहती है कि ताऊ गोदियाल जी से कहो न कभी तो ……बाबा के मंदिर को देवी का मंदिर बता देते हैं
मिसर जी के कठिन नाम .वाले ब्लोग .अजी वही क्वचिदन्यतोअपि पर टिपियाते हुए
बी एस पाबला said...
मीनू पर लिखी वही सूची पोस्टर के बड़े अक्षरों सी साफ़ दिख रही थी
हा हा
इसे कहते हैं आंखें खुलना। पनीर ने बंद कर दी थीं ना!
रोचक संस्मरण
बढ़िया
टिप्पा टैण टैनेन :- आयं इत्ता भारीभरकम नाम रखे हैं मिसर जी हम लोगन को पसीना छूट जाता है ..ऊ ससुरे मीनू वाले को भी कह देते कि बेटा पहले बोल के बताओ ..फ़िर निपटाएंगे तुम्हारा क्वार्टर आउर फ़्लैट ….पनीर से आंख बंद ……ओह ई साईंस का बात हमरे पल्ली कभी नहीं पडता है जी …हम इता दिन सोच रहे थे कि पनीर से खाली पेट बंद होता है ….
राजीव तनेजा जी के होली फ़ैशन परेड में भाग लेते हुए :-
हाय! खुशदीप बहना,
कितनी क्युट लग रही हो,
एकदम झकास, घायल कर दिया।
मुकुल बहना!
क्या अदा है क्या स्टाईल है
एक हाथ मे पॉडकास्ट
एक हाथ में मोबाईल है।
अब कैसे कोई हाथ मांगे
दोनो ही इंगेज है
बस जरा सी ठिठोली है।
बुरा न मानो हो्ली है।
राजीव जी बधाई हो
सभी हसिनाओं रुपसियों को होली की शुभकामनाएं।
टिप्पा टैण टैनेण :- ई खबर उडते उडते सुने थे कि एक ठो फ़ौजी ब्लागर एतना भां घोंट के पी लिए हैं कि ,…जाने केकरा बहना , सखी , सहेली बना दे रहे हैं ….ओईसे तो कसूर फ़ौजी मुछु बाबू का भी नहीं है ..ई अपने राजीव भाई टोकरी भर भर के लिपिस्टि पाउडर सिनुर टिकली ले के बैठ गए हैं और जाने कौन टाईप का नारी सशक्तिकरण करने पर तुले हुए हैं होली जाने तक तो जाने कित्ती ही मजबूर मूंछों वाली हसीनाएं …पैदा हो जाएंगी
फ़ुरसतिया जी के बिलाग पर भूत पटक…… घोस्ट बस्टर गहन टाईप विशलेषण करते हुए
February 27, 2010 at 12:22 pm | Permalink
महिला टेनिस, पुरुष टेनिस से ज्यादा आकर्षक होता है. पुरुष टेनिस में तो पॉवर गेम ने खेल का आनंद क्षत-विक्षत कर दिया है, पर महिलाओं में बावजूद विलियम्स बहनों के अभी भी कई अच्छी कलात्मक खिलाड़ी दिख जाती हैं.
महिला हॉकी भी देखना रोचक रहता है. शायद ही कोई खेल हो जहां महिलाएं अपने जौहर ना दिखा रही हों और बखूबी ना दिखा रही हों, यहां तक कि लेडीज़ सॉकर तक में जबर्दस्त खेल देखने को मिलता है.
लेकिन क्रिकेट में महिलाओं को खेलते देखने से ज्यादा डल और बोरिंग और कुछ नहीं हो सकता. क्रिकेट अपने मूल चरित्र में ही एक सुस्त खेल है. उसमें अगर कोई असली आकर्षण भरता है तो वो या तो सचिन, सहवाग जैसे बड़े हिटर हैं या ब्रैट ली, शेन बांड जैसे तूफ़ानी गेंदबाज. महिला क्रिकेट में ये सब नहीं देखने को मिलता. इसीलिये वहां ज्यादा आकर्षण नहीं बनता. उसकी अलोकप्रियता की यही वजह है.
तो फ़िर महिला क्रिकेट के रिकॉर्ड्स को कोई तवज्जो दे भी क्या? हां सचिन की इस अन्यतम उपलब्धि को पंक्चर करने के लिये ढूढ-ढांढ कर फ़ालतू के तथ्य लाये जा रहे हैं, बेवजह. मूर्खतापूर्ण.
टिप्प टैणेन :- आयं ये क्या खेल प्रेमी भूत पटक ….कित्ती गहरी पकड है जी आपकी और क्या पारखी नज़र है ..एक दम कसम से से इस नजर को किसी बजर बट्टू की नज़र न लगे ….एक दम ठीक कहा आपने सुना है कि लोग कह रहे हैं कि महिला क्रिकेटरों से ज्यादा आकर्षण तो …महिला चीयर गर्ल्स में महसूस होता है मीडिया को………….अब पता चला कि प्रेत भी कित्ता सोचते हैं …..मतलब मरने के बाद यहां पढने और टिपियाने के लिए आना ही होगा …..
तुम्हें खुदा महरूम रखे जिंदगी की हर बुराइयो से
जवाब देंहटाएंरंगों का पर्वोत्सव मुबारक हो दिल की गहराइयों से
रंगोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामना और बधाई....
यार अजय ये भूत पटक भी महिला टेनिस और महिला हाकी मे वही देखते है जो हम और तुम देखते है
जवाब देंहटाएंहाय राम
हा हा!! टैण टैनेन...तो मस्त रहा!!
जवाब देंहटाएंये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
गले लगा लो यार, चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
बहुत चकाचक रही जी ये टैण टैणेन तो.
जवाब देंहटाएंआपको होली पर्व की घणी रामराम.
रामराम
बढ़िया मूड बना हुआ है आपका :-)
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
जय हो
जवाब देंहटाएंजोरदार टीप्पा, उठा उठा के पटके हो।
गेंद भी बहुत उछली है ऐसे झटाके हो।
टैण टैनेन
टैण टैनेन.....
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएँ ।
अरे वाह !
जवाब देंहटाएंटिप्पी पर पहली बार ही आ पाया हम बुड्ढों से दोस्ती करोगी तो ऐसे ही चलेगा ! मगर कलेवर वाकई पसंद आया ! अनूप शुक्ल ने वाकई बहुत गंभीरता से लिया था इसे यह मैं भी समझ नहीं आया ! बहुत पैनी निगाह है अजय तुम्हारी , आने वाले समय में बहुत परेशान करोगे भाई लोगों को ....
खैर... मेरी शुभकामनायें !