रविवार, 24 जनवरी 2010

ट्विस्टिंग टिप्पे……जैसे गोलगप्पे

सबसे पहले तो अपने अग्रज भ्राता श्रीमान टिपौती लाल झारखंडी जी का बहुत बहुत धन्यवाद कि ऊ सागर मंथन के तर्ज़ पर ब्लोग्गर मंथन करके ई नयका टेम्पलेट सलेक्ट करके सेट किए हैं , बस बताया जाए कि कैसा लगा …लगा न जोर से करेगा में ठां करके

 

खुशदीप भाई के देशनामा पे

 

 

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...

मियाँ जी, बहुत ज्ञानी हैं। अभी अभी पैदा हुए और ज्ञान दे गए। अभिमन्यु का तो पता था कि वह किस के गर्भ से पैदा हुआ और किसने उसे यह ज्ञान दिया। यह तो सच है कि कोई तो मियाँ जी को ज्ञान देने वाला रहा ही होगा।
इतना ही काफी है। मुझे तो सांख्य का तीसरा तत्व अहंकार'स्मरण' हो रहा है। समूची सृ्ष्टि का वही सूत्रधार है और अक्सर मानव मन में अनायास प्रकट होता रहता है।

January 23, 2010 11:49 PM

हमारा टिप्पा : मियां जी को गजबे लीगल सलाह दे दी ओकील  साहब ने , हम सोच रहे हैं कि ई बेचारे इलीगल मियां को एतना लीगली पटक दिए  कि अब चिचियाते फ़िर रहे होंगे । सुना है कि लोग बाग एतना चैलेंज़ कर दिया कि अब ऊ बर्थ प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं । बनते ही खबर किया जाएगा । अभी तो न प्रमाण मिल रहा है न कौनो पत्र ….बेचारे मियां जी

शशिभूषण जी के ब्लोग पर :-

 

काजल कुमार Kajal Kumar said...

फिर भी लोग हैं कि हाज़िरी बजाने चले रहते हैं \:)

January 23, 2010 10:55 AM

हमारा टिप्पा: का काजल बाबू ई कहिए न कि लोग बजाने चले जाते हैं , हाजिरी उजरी का तो पता नहीं मुदा बजा तो दईये देते हैं , कभी बैंड तो कभी पीपनी । ओईसे काजल भाई इहां तो ठीके है मुदा सुने हैं कि आप भी सबको एके वक्र दृष्टि से देख के बजा देते हैं ,ठीक है का ? अरे बाप रे कहीं यहां भी …..अईसन न हो कि काजल की ………कंप्यूटर काला ॥

स्मार्ट इंडियन जी के ब्लोग पर :-

गिरिजेश राव said...

शुभकामनाएँ भैया।
मेरे एक और भैया हैं जो अक्सर उन अकादमिक लोगों के बारे में बताते हैं जिन्हें संस्कृत का क ख ग भी नहीं आता और प्राचीन इतिहास एवं दर्शन के आचार्य बने बैठे हैं। उनका सारा शोध अंग्रेजी कुंजियों (शिष्ट भाषा - भाष्य) पर आधारित होता है और रोमन ट्रांसलिटरेशन में मूल को क़ोट करते हैं। पढ़ने को कहने पर अटकते हैं :)
अगली कड़ी की प्रतीक्षा है।
आत्महत्या के समय 'हिम्मत' नहीं क्षणिक उद्वेग या कई दिनों से जारी अति निषेधात्मक मनोभाव काम करता है इसीलिए पहचान और कौंसिलिंग महत्त्वपूर्ण है।

 

हमार टिप्पा : का कह रहे हैं प्रभु आपके भी भैय्या हैं एक ठो ….दद्दा रे दद्दा , बाप रे बाप , ऊहो आलसी हैं का ….अरे लंठ तो होईबे करेंगे , ब्लोग्गिंग में तो नहीं न आए हैं , आ गए तो बस समझिए गए जब उनका बताया मात्र से एतना घातक टीप निकल गया है तो ….आने के के बाद तो सब टैणेण हो जाएगा । आपका टीप भी हमको तो , कौनो बाऊ कथा से कम नहीं लगता है ॥

अदा जी के काव्यमंजूषा पर :-

manu said...

अभी पिछले दिनों अपने मेजर साब के साथ भी एकदम ऐसा ही हुआ था अदा जी...
जब हमने कमेंट दिया के आज के दिन तो आपकी पोस्ट आती ही नहीं है...तब जाकर उन्हें पता लगा...के एक पोस्ट समय से पहले ही खुद बी खुद छप गयी है....
इस गूगल बाबा के झमेले गूगल बाबा ही जाने....
इहाँ कुछ भी हो सकता है जी...

January 23, 2010 6:52 PM

हमार टिप्पा :- अरे ई गूगलवा जब देखो अईसन गडबड करते रह्ते हैं , कुछो ढंग का तो करते नहीं है ,ई तो होता नहीं है कि गूगल एडसेंस शुरू कर के बच्चा सब का भला करें अरे काहे के बाबा हैं यार एकदम बेकार है । बाबा से कहा जाए कि बाबा गडबड होती है कोई बात नहीं आल इज वेल ,,,मगर कुछ तो नकद भी ,,,फ़ुनसुक वांगडू न सही …चतुर रामलिंगम ही सही

हमरे ब्लोग कुछ भी कभी भी :-

 

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी सलाह!! इधर कुछ तबीयत भी नरम गरम सी है तो ज्यादा नये लोगों पर ध्यान भी नहीं दे पा रहे लिकिन इस दायित्व की तरह सभी को लेना चाहिये कि प्रोत्साहन दें.

२४ जनवरी २०१० ८:३३ PM

हमार टिप्पा :- ओह तभिए हम कहें कि ई ब्लोग्गरवा सब ई कंप्लेंट काहे कर रहे हैं कि कोई ब्लोग्गर तो ब्लोग्गर एक ठो मोस्ट आईडेन्टीफ़ाईड ओब्जेकट ,,,कोई एलियन जी भी टिपियाने नहीं आ रहे हैं , सब का सब मुंह बाए बैठा है बेचारा लोग ।ई दायित्व कौन ले सकता है , अजी इंसान लोग के बस है का एतना विचरन करना । आप लोग का भी तबियत खराब होता है ….यार ई एलियन लोग का डाक्टर कैसा होता होगा ….भारी सोच में पड गए

गिरिजेश राव जी के ब्लोग कविता और कवि पर :-

 

अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने कहा…

आप तो 'ऋषि' हुए न !
मंत्र द्रष्टा जो होता है ठीक वही ! ... हमें भी मुनि ही / भी बनाइये न !
बचपन का दवात वाला बिम्ब जिसमें स्याही घोली
जाती थी , याद आ गया .. आभार , साहब !

२४ जनवरी २०१० ६:३६ PM

हमार टिप्पा :- लीजीए ई भी ठीक रहा त्रिपाठी जी , आलसी , लंठ तो हईये थे आज आप एक ठो नयका नाम भी धर दिये इनका रिषि मुनि । ई एतना शब्द साधाना करते हैं कि इनका नाम मुनि तपस्वी टाईप का होना कंपल्सरी हो गया था । आपहु मुनि जी बनना चाहते हैं बनिए बनिए ,,,,फ़िर हम लोग बाबा जी वर्सेस मुनि जी का ट्वेंटी मैच कराएंगे और टिकट भी लगेगा , मैच की सारी राशि ब्लोग्गर पेंशन फ़ंड को दान में दी जाएगी । व्हाट एन आईडिया सर ॥

बिल्लन के खेल खुल्लम खुल्ला फ़र्रुखाबादी पर

Yashwant Mehta said...

एक सासु अपनी बहु से बोली
मेरा बेटा शादी से पहले कुत्ता था, शादी के बाद गधा हो गया

24 January 2010 19:48

हमार टिप्पा :- यार ये तो हर एंगल से मरदावा सब को ऐनिमल बना दिया है । ओईसे गधा कुत्ता दोनों ही बेचारा टाईप है जो फ़ट से बियाह के लिए मान जाता है । मगर यार यशवंत भाई एक बात तो बतईबे नहीं किए कि शादी के बाद प्रमोशन होता है कि डिमोशन । रहता तो बेचारा एनिमल प्लेनेट चैनल का हीरो ही ॥

मंगलवार, 19 जनवरी 2010

एक ब्लोग कहानी में एक टिप्पी होती है , एक टिप्पा होता है

आज तेताला पर नए चिट्ठों की चर्चा की शुरूआत तो मैंने कर दी है , उम्मीद है कि आप सबको वो पसंद आएगा ,और अब ये टिप्पणी चर्चा भी आ गई , अब तो आप बस रफ़्तार देखते जाईये और नए अंदाज़ भी , लीजीये मजा टिप्पों का


बाबा समीरानंद जी के ब्लोग प्रवचनमाला में

Udan Tashtari said...

जय हो बाबा ताऊआनन्द महाराज की. बहुत बढ़िया प्रवचन रहा ललित जी की जिज्ञासा निवारण के लिए.

रचना जी किन बच्चों कें विषय में बात कर रहीं हैं, जरा पता करियेगा.

साधु सन्त किसी के विरोधी नहीं होते. वो तो जीवन जीने का मार्ग बताते हैं.


जय हो!! जय हो!! जय हो!!


हमारा टिप्पा :-का हो उडन जी , ललित जी के प्रश्न सुन के ही मन एकदम ललित (प्रसन्न ) हुई गया। ऊपर से बाबा जब अपना परवचन दिए रहे तो लगा कि चलो कौनो तो है जो बच्चा सबको सीख दे सकता है । अरे बच्चा सब समझ रहे हैं न , कि ई में मौज मौज में बच्चा सब को लुच्चा सब मत न समझ लीजीएगा । अरे जान रहे हैं कि आप ई सोच रहे होंगे कि ई झाजी बार बार समझ रहे हैं न .....समझ रहे हैं न ....काहे कह रहे हैं अरे आप ठहरे एलियन ..जब देखो विचरते रहते हैं ...........इहां तो लोग जैसे ही फ़ुर्सत में आए कि ........बस टैण टैणेन ...टैनेने टैनेने ...का फ़मझे जी

गिरिजेश राव जी, अरे उहे आलसी लंठ जी के ब्लोग कवि और कविताएं पर
Arvind Mishra ने कहा…

सुबह सुबह ही विद्युत् स्पर्श करा ही दिया न भाई ....शब्द शब्द स्फुलिंग ...
.क्या कहूं -बड़े होने की गरिमा का भी तो खयाल रखना है ....
अब आपके टिप्पणीकार निश्चित ही घटेगें -सांत्वना यह कि पाठक बढ़ेगें !
क्या चाहिए वत्स तुम्हे ,पाठक या महज टिप्पणीकार ? अब तुम हो अपनी नियति के निर्णायक


हमारा टिप्पा :- का मिसर जी गोया आप तो ऐसे न थे, बताईये तो लंठ बाबू को पूछ रहे हैं कि बताओ भैय्या विक्रम कि बेताल .....कौन पढे सब हाल ??मुदा जब भी टिप्पणीकार की बात होती है ई आप लोग हमको भूल के .....अरे आप तो मिश्रा /चौधरी/ को भी भूल कर पाठक जी को कमान दे देते हैं संभालने के लिए । और ई गिरिजेश बाबू से पूछने का कौनो फ़ैदा है का । अरे ऊ जो बाऊ कथा बांच रहे हैं उ सबके बस का समझना है का । हम तो उनको कहिए दिए हैं कि चाहे कौनो पाठक /झाजी आ कि कौनो पाजी पढे न पढे, समझे ....मगर वो हिंदी ब्लोग जगत के एक धरोहर तो हईये हैं ....एक ठो आलसी धरोहर ...॥


कस्बा में ऐसा कहा श्री जे सी ने :-

JC said...

दारू से याद आया की कभी एक कव्वाली सुनी थी, जिसमें उन्होंने पुलिस के 'पी' का मतलब समझाया था, जैसे दिल्ली के डीपी का मतलब 'डेली पी', पंजाब के पीपी का मतलब 'पी', और फिर फिर 'पी', आदि आदि समझाया :) टीवी पर भी कई बार एचपी के द्वारा 'हदसे ज्यादा पी' के दृश्य देखने को भी मिले हैं - उसको सार्थक करते हुए :)


हमारा टिप्पा :- का जे सी साहब , दारू से याद आया , का जी मुआं ई दारू न हुआ बदाम का टौनिक हो गया जी आयं । आउर याद का आया , पी माने पी , पीपी, डीपी, सीपी ,........माने पी का तो कंपल्सरी मीनींग तो सिर्फ़ दारू ही हुआ न । ओइसे इस हिसाब से अपने टिप्पी का मतलब हुआ ........टी माने टीपो ...और पी माने ...फ़िर मन करे तो पढ भी लो ....इसे ही कहते हैं टीप । वाह आजे इस आईडिया का पेटेंट ...अरे नहीं पीटेंट कराते हैं ..व्हाट एन आईडिया सर जी ॥

अभिषेक बाबू के ओझा उवाच पर आलसी जी उवाचे हैं :-

गिरिजेश राव उवाच

बड़ा लेट कर दिए छापने में। डर पर काबू पाने में समय लगता है। अच्छा किए यहाँ के स्थायी निवासी ब्लॉगरों का नाम नहीं दिए नहीं तो उनका तो ....:)
भाई, स्थिति इतनी खराब भी नहीं है। काहें हमरे ऊपी को ..? अब देखिए द्विवेदी जी भी वही बात कर रहे हैं। ऊपी लीडर है बाकी फॉलोवर।
सर्वजन जी से जब मुलाकात होगी, बताएँगे।

तमाम योजनाओं के गलियारों में वह बिला गए हैं। शोर इतना है कि उनकी पुकार भी नहीं सुनाई पड़ रही, कैसे उन तक पहुँचूँ?
January 19, 2010 9:00 AM

हमार टिप्पा : - का हो आलस भाई , ओझाजी का पोस्ट हो तो ऊ पर तो आपका लंठई देखते ही बनता है । उपी लीडर है , सचे कह रहे हैं का । आप कह रहे हैं तो मानना तो पडेगा ही मुदा सुने हैं कि लीडर जो है न उपी का उ सब एक ठो इटलानी (माने इटली की जनानी ) के आगे ....अरे नहीं नही उनके तिआग के आगे फ़ेल है जी । आ पूरा देश ...ई दधिचाईन ( दधिचि के बाद एतना बडा त्याग अब जाके किया है कोई ) के आगे ...जय हो हो गया है ...जय हो ।

अवधिया जी के देश में फ़रमाईन हैं :-

dhiru singh {धीरू सिंह}, January 19, 2010 3:46 PM

हम तो खुश थे पीछा छूट गया था पढाई से लेकिन यहां भी . ठीक ही है हिन्दी मे ब्लोगिग करने से पहले रिविजन हो जाये तो अच्छा है

हमार टिप्पा :-अच्छा अच्छा इहां रिवीजन और क्लास टेस्ट लिया /दिया जा रहा है । अवधिया जी का ट्युसनिया क्लास तो सब बचवा ब्लोग्गर सब को ज्वाईन अरे नहीं नहीं एडमिशन ..अरे धत तेरे कि उ का कहते हैं जी प्रवेश लेना न पडेगा । ओईसे सुने हैं कि जल्दीए ई पर घोर आपत्ति जताई जाएगी कि ब्लोग्गर बाबा पर आप लोग अईसे हिंदी का मुहिम नहीं छेड सकते हैं काहे से कुछ लोग हैं इंग्रेजी प्रेम वाले अभी भी । अरे इंग्रेज नहीं है ............मुदा पता नहीं ...हिंदुस्तानी भी नहीं हैं ......जी कसम से ....गौड प्रामिस ...


मन का पाखी में :-

HARI SHARMA said...

आपके इस लघु उपन्यास से एक बात तो जेहन मे साफ़ हो गई है कि अगर कोई लडकी प्रकट मे बेरूखी दिखा रही हो तो ये नही समझना चाहिये कि वो वास्तब मे आपको पसन्द नही करती है और नेह की बारिश से अन्गारो की गरमी भी निकल जाती है.

हमारा टिप्पा :- का हरि भाई , इत्ता सीरीयसली ले लिए । ई तो आप एकदम हरि भाई, अरे अपने संजीव कुमार जी जैसे संजीदा टाईप हो गए जी । नेह की बारिश .........अंगारों की गर्मी .......सबै ..वेलन्टाईन डे का असर है जी । हम जानिए रहे थे कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ,...ऊ का साईड इफ़्फ़ेक्ट ...इ वेलेन्टाईन डे पर भी पडबे करेगा । हरि बाबू तनिक ई लघु वर्जन को और विस्तार दिया जाए जी । हम चाहेंगे कि बारिश ....अरे उहे नेह की बारिश के बाद ....और फ़िर अंगार की गर्मी हो कि भंगार की गर्मी ..........का सचित्र वर्णन किया जाए ।

बिल्लन के खेल खुल्लम खुल्ला में :-

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...

मुरारी बाबू! लगता है हेबीचुअल ओफेंडर हो गए हैं। दस नंबरी घोषित न हो जाएँ।

हमार टिप्पा :- हा हा हा ,,,,अरे सर ई मुररिया तो इहां का परमानेंट दस नंबरी .....अरे द्से काहे ..पता नहीं केतना नंबरी है ...पच्चीस पचास का दंड तो उ बेचारा को ...स्माईली भी लगा दे तो डा झटका ...जोर का झटका लगा देते है उ को । हम तो ऊ बचवा को सजेस्ट किये थे कि ....ए मकरंद ......तुम्हारा परफ़ार्मेंस जब कंसिस्टेंटली एतना बढिया है तो .....मकरंद की जहग अपना नाक ........मकदंड काहे नहीं धर लेते हो जी । आगे तो उ डाक्टरवा जाने कि ताऊ की बिल्लनियां ..॥
ललित शर्मा जी के ब्लोग पर अईसन टीपे हैं

पी.सी.गोदियाल, १९ जनवरी २०१० १०:३६ AM

बात तो बहुत उम्दा कही आपने कहानी के माध्यम से,
लेकिन एक गुस्ताखी करना चाहता हूँ ! क्या आप और मैं ऐसा कर सकते है ?मान लीजिये कि आज ड्राई डे है और ठण्ड की वजह से आपकी बड़ी इच्छा हो रही है कि..... आपके पास आज शाम को बो... में बस गिलास में डालने के लिए एक ही दफे का मौजूद है ! आप सुरु करना ही चाहते थे कि मैं पहुँच गया! तो क्या आप फोर्मलटी के लिए पूछोगे कि गोदियाल जी , आप लेंगे ? अगर यही सवाल आप मुझसे पूछोगे तो मैं कहूंगा कि बिलकुल नहीं मैं तो लिलास घताक्कर पूछता कि और ललित जी , कैसे आना हुआ ? हा-हा-हा-हा-हा ............कलयुगी साधू :)


हमार टिप्पा :- आज ड्राई डे है ...मान लीजीये ...अरे काहे मान लें । ई सरकार के कहने से माना जाता है का ई सब , हां ठंड की वजह से आपकी इच्छा हो रही है ........कि बो में बस ..........आयं बो में बस ..........ई कौन है बस है गोदियाल जी जिसमें खाली एकेठो सवारी चढ सकता है जी । अरे मान भी लिया ...मानेंगे कैसे नहीं ..अभी ऊपर माने हैं कि नहीं ...तो कह रहे थे कि मान भी लिया कि एकेठो सवारी चढ सकता है ..तो कंडक्टर को लटकने से तो आप नहींये रोक सकते हैं न । और गिलास गटक जाने के बाद पूछते आप .......आपको का लगता है शर्मा जी तब तक इंतजार करते ...तब तक तो खींच मारते ...........और आप ज्यादा नाराज़ होते तो ....आपको एक लिंक पकडा देते .....हम चर्चाकार लोगों को लिंक का ही ध्यान रहता है न हमेशा ॥


खुशदीप जी के देशनामा पर :-

'अदा' said...

छिछोर्दीप जी,
आपकी छिछोरी पोस्ट का हम अपनी छिछोरी टिपण्णी से छिछोरा जवाब न्यूटन के तीसरे छिछोरे नियम से छिछोरे तरीके से छिछोर कर दिए और आपसे इतना भी नहीं हुआ कि इस छिछोरी टिपण्णी का एक छिछोरी ही बात कह कर हमको अपनी छिछोरियत से परिचित करवाते...कैसे छिछोरे है आप ? छिछोरियत में भी छूट गए आप....छि छि...:):)
January 19, 2010 7:12 PM

हमार टिप्पा :- हम तो पहिले ही शाहिदवा को कहे थे कि रे छौडा....ई जो तुम स को फ़ कह कह के सारा शब्दावली बिगाड दिया है न देखना ई का प्रभाव अभी पडे न पडे .....सूर्य ग्रहण के बाद जरूर पडेगा ...। देखो हुआ न ....एक तो छुशदीप भाई ने ....एक ठो कमाल की छिछोरी छोस्ट लगाई और ढेरों टीपें पाई । बेचारा न्यूटनवा को का पता था कि ब्लोग्गिंग में ऊ का नियम का एतना घातक टाईप व्याख्या होगा । ई खबरची सब जो न करे जी । ऊपर से बकिया कसर अदा जी निकाल दी हैं । जय हो छिछोरापन हिट है सुपर हिट ....


तो अब जाएं जी ....

बुधवार, 13 जनवरी 2010

आपकी टिप्पी पर हमारा टिप्पा (टिप्पणी तडका )

जब हमने ये टिप्पी पे टिप्पा धरने वाला ब्लोग शुरू किया था तब मन में बस एक ही विचार था कि लोग जब यहां अपनी टीपों को टीप कर चल देते हैं तो फ़िर वो उस पोस्ट के साथ ही सिमट जाती हैं । सो सोचा कि पोस्टों की चर्चा,पोस्टों की बातें तो खूब होती हैं ,मगर टिप्पणि्यों का क्या, और फ़िर ऐसा तो नहीं कि उन टीपों को सजा के कोई गुलदस्ता न बनाया जा सके । तो बस गुलदस्ता सजाने के बाद ऊपर से गुलाब जल छिडक दिया है ॥आप मजा लीजीए

खुशदीप जी के ब्लोग पर

'अदा' said...

बॉलीवुड के सलमान खान और ब्लागवुड के महफूज़ अली में समानताएं....
१. दोनों नकचढ़े हैं..
२. दोनों अविवाहित हैं
३. दोनों की गर्ल फ्रेंड्स भाग जातीं हैं..
४. दोनों के डोले-शोले हैं..
५. दोनों बडबोले हैं...
६. दोनों दिल के बहुत अच्छे हैं..
७. दोनों लड़कियों से डरते हैं लेकिन दिखाते हैं की लडकियां उनसे डरतीं हैं
८. दोनों अपने-अपने में बड़े हैं
९. दोनों अपने-अपने घरों के आधार हैं....और घरवालों के लिए जान देते हैं..
१०. दोनों बेवकूफ हैं...
१२.दोनों की शक्ल भी थोड़ी मिलती है एक-दूसरे से
१३. दोनों घमंडी है
१४. दोनों जब भी मौका मिले बाडी दिखाते हैं..
१५. एक लेखक है दूसरा पेंटर यानी कलाकार हैं..

January 12, 2010 1:24 AM

हमारा टिप्पा :- लीजीए , अदा जी , एक तो पहिले ही महफ़ूज़ मियां , खुल्लम खुल्ला सांड हुए जाते हैं । कह रहे हैं हम तो अईसे ही झूम झूम के खेत सब चरेंगे ,दूसरा का उनको लाल कपडा दिखाएगा, उ तो खुदे लाल लंगोट बांध के दौड रहे हैं । अब उनको ई सलमान, आमिर , और शाहरूख बनाना छोडिए , और उनकी महफ़ूजनी का जुगाड कीजीये, बाराती तो ब्लोग्गर् सब जाएंगे ही , आखिर पता तो चले कि ब्लोग्गर को दामाद बनाने वाले को क्या क्या झेलना पडता है । फ़िर तो कह्ते फ़िरेंगे …..अरे यार कोई तो रोक लो ॥

हमारे अपने ब्लोग पर

बी एस पाबला ने कहा…

अभी देखा तो पाया कि खुद के द्वारा नियंत्रित हिन्दी, पंजाबी, अंगरेजी के 30 ब्लॉग हैं और करीब 4 अंग्रेजी की वेबसाईट्स। सभी विषय आधारित। किसी में कथित फूं-फां नहीं। साधारण सा लेखन ऐसा कि किसी को जानकारी जैसा कुछ प्राप्त हो। कोई मौज़ नहीं, कोई मस्ती नहीं। हाँ नियमित नहीं है लेखन्। इतनी फुरसत ही कहाँ है भई!
वैसे आपकी पोस्ट सारगर्भित

हमारा टिप्पा :- हा हा हा , सर जी हम सभी को जिन्न थोडी कह देते हैं यूं ही । ई तो वही जान सकता है जो आपके लंबे छोटे हाथों का कमाल देख रखा है । सब के सब विषय आधारित , बाप रे बाप । का सर केतना सब्जेक्ट पढ लिए हैं आप । छपास, बधाई, विज्ञान, अपनी बात, कमाई ,और पता नहीं क्या क्या ।हम तो सोच रहे हैं कि आपही के साथ एक ज्वाईंट अकाऊंट खुलवा लेंगे , ब्लोग से जब भी कोई कमाई होगी बिना एफ़डी कराए डबल हो जाईगी ॥

डागदर बाबू (डा. अमर जी ) के ब्लोग पर

अजय कुमार झा टिपियाइन कि

ल्यो , अथ डागदर बाबू कथा बार्ता प्रथमो अध्याय , स्टार्टम भवति । पहिले टेस्ट पोस्ट में कय ठो फ़ेल हो गईल हो डागदर बाबू हमरे तो लाग रहत बा कि जल्दीए सबके हुमोग्लोबिन आर डब्ल्यू बी सी , सबके टेस्ट होईये जाई । देखल जाय ई टेस्ट कय लोगन के टेस्ट (स्वाद बला हो ) बिगाड देत हय जी ॥
अजय कुमार झा

11 January 2010 10:46 PM

हमारा टिप्पा :- लो , अब अपने ही टीप पर टिप्पा, ए हो डागदर बाबू काहे लिए एतना घोटमघोट लिख कर सबको माथा पकडा देते हैं जी । हमको तो सब बूझा गया , काहे से कि हम आपके पुराने पेशेंट हैं ,मुदा और बहुते लोग आपका क्लीनिक अभी नहीं न ज्वाईन किया है । हां टेस्ट का रिजल्ट अगला पोस्ट में बताईएगा जरूर ….

रवीश जी के कस्बे पर

JC said...

जिस प्रकार मेरे बाबूजी अपने जीवन के अंतिम पडाव में मेरे साथ रहे '८५-'८६ में, तब वो टीवी के हर प्रोग्राम देखते थे - और देखने के बाद कहते थे "वाहियाद!"...वैसे ही भविष्यवाणी (मौसम की भी, समाचार पत्र/ टीवी में जैसे - जो अधिकतर गलत ही होती हैं) सुनने या पढने या देखने में हर कोई दिलचस्पी रखते हैं...यदि वो सत्य साबित हो जाये तो उनका विश्वाश अटूट हो जाता है किसी न किसी विधा पर, भले उसका कुछ भी नाम रहा हो, 'हस्तरेखा विज्ञान', 'अस्त्रोलोजी' या 'शस्त्रोलोजी' आदि, आदि...उस विश्वास को बनाये रखने के लिए कृष्ण के मामा कंस द्वारा सुनी गयी भविष्यवाणी की कहानी एक बड़ा रोल अदा करती है...
दिल्ली में अंग्रेजी का 'लिंटेल' मिस्त्री लोग 'लंटर' उच्चारते हैं...एक कहावत है, "जो घोष लिखता है / उसे बोस सही समझता है."...

हमारा टिप्पा :- एक दम धांसू टाईप टीपे हैं जे सी साहब । और ऊ का कहते है, ई रेट्रो टाईप याद सब , कमाल है था उ दिन सब , हम तो सोचते हैं कि जितना आनंद हम लोग को अपने बाबूजी के साथ आया करता था , ओतना हमरे बच्चा सबको अपने बाबूजी , नहीं नहीं पापा के साथ कहां आ रहा है ????

गोदियाल जी के अंधड पे

ललित शर्मा said...

बहुत ही चिंतनीय विषय है। चारों तरफ़ मंहगाई का तांडव हो रहा है, सरकार उदासीन हैं, चारों तरफ़ लुट मची है, निम्न मध्यम वर्ग पिस रहा है दो पाटों के बीच लेकिन ये प्रजातंत्र है आज नही तो कल जवाब देना ही पडेगा।
कभी हंसता हुआ मधुमास भी तुम देखोगे।
कभी समंदर सी प्यास भी तुम देखोगे
कलमुही सत्ता के मद मे ना झुमो इतना
कल जनता का दिया बनवास भी तुम देखोगे

January 12, 2010 4:05 AM

हमार टिप्पा :- ललित जी आपकी टिप्पी पर टिप्पा लगाना भाई हमरे बस का नहीं है जी , एक तो एतना गंभीर गंभीर बात ऊपर से कविता दोहे भी । माने रसगुल्ला के ऊपर मलाई लपेट दिए हैं । गोदियाल जी का पोस्ट हो और उस पर आपका टीप हो तो छटा देखते ही बनता है जी ॥

बाबा लंगोटानंद को ठंड का उपाय बताते हुए

महेन्द्र मिश्र said...

बाबा लंगोटा नन्द के लंगोट में हीटर फिट कराया जाए ......

13 January 2010 03:02

हमार टिप्पा :-हा हा हा , महेन्द्र भाई , ई तो बाबा जी को आप व्हाट एन आइडिया टाईप आइडिया दे डाले । हीटर का जो जगह आप बताए हैं , ऊ का व्यबस्था यदि सच में किसी ने कर दिया तो बाबा के अंदर जो ग्लोबल वार्मिंग होगी उ से तो हिमालय तो हिमालय हमको तो लगता है पूरा ब्रह्मांड ही पानी पानी हो जाएगा ॥

हमने खबरों की खबर ली तो वकील साहब बोले

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi ने कहा…

भाई, आप तो पक्के टिप्पणीबाज हैं।

हमारा टिप्पा :-क्या सर , ई आपको अब पता चला , इहां इहे क्वालिटि /डिसक्वालिटी पर अपना दो दो ठो आउटलेट चल रहा है । एक तो इहे है और दूसरा उहे जिस पर आप ई टीपे हैं । हां बाज का तो पता नहीं टिप्पणी काग जरूरे है । दिन भर कांव कांव करते हैं और फ़िर भी मन नहीं भरता है …कांव कांव मतबल टीप जी ….

ताऊ जी के ब्लोग पर

Ratan Singh Shekhawat

Wednesday, January 13, 2010 9:01:00 AM

१. क्या हमको पलायन करना चाहिये?
इस देश की वीर भूमि राजस्थान में पैदा हुए है ताऊ श्री ! पलायन शब्द तो शब्दकोष में भी नहीं है | रणछोड़ दास कैसे बन जाएँ | इसलिए यह प्रश्न तो सिरे से ही नकार दीजिए |
धीर गंभीर लोग तो चाहते है कि किसी भी हथकंडे से ये मुस्कान देवी के पुजारी पलायन करले और वे एक छत्र राज्य करते रहें यदि पलायन करते है तो समझिये उनका मनोरथ पूरा हो गया इसलिए जमे रहें लोगों को हंसाते व खुद हँसते हुए मस्त रहे | पूरा ब्लॉगजगत जनता है कि लोग किसको ज्यादा पसंद करते है ?
२. क्या हमे इधर उधर से मार कर ब्लडी, ईडियट, साला, ससुरा, शराब, सिगरेट जैसे शब्दों को डालकर गंभीर लेखन करने का नाटक करना चाहिये?
ये शब्द उन्ही को मुबारक हो | हमारी संस्कृति में इन शब्दों के लिए जगह नहीं है | यदि यही गंभीर लेखन का पैमाना है तो लानत है ऐसे गंभीर लेखन पर और एसा लिखने वालों की संस्कृति पर |
३. क्या हमे एक ठिल्लूआ क्लब की स्थापना करनी चाहिये? जिससे गंभीरता को अलसेट लगाई जा सके?
हाँ ! ये बात हमें भी जम रही है | यह क्लब जरुर बनना चाहिए और ठिल्लुआ लेखन खूब ठेलना चाहिए ताकि उन गम्भिरियों को भी पता लगे लोग क्यापढना पसंद करते है ठिल्लुआ या गंभीर |
आप तो रामप्यारी ,हिरामन ,चम्पाकली ,झंडू सियार आदि के साथ खूंटे पर जमे रहे |
इन चरित्रों और खूंटे की बढती लोकप्रियता से जो लोग जलकर तीर चला रहे है उनका और दिल जलाने से मुस्कान देवी की सच्ची आराधना होगी |

हमार टिप्पा :- अरे रतन भाई , एतना लंबा टीप के बाद कसम है ताऊ को जो पलायन उलायन वाला बात बोले तो । अरे हम तो कह दिए हैं उनको कि ई गंभीर और चतुर रामलिंगम टाईप थ्योरी पर सोचने लगे हैं आज भी रामप्यारी अपने पहली पर जेतना टीप ले उडती है ,ओतना तो केतना को पूरा साल में भी नसीब नहीं होता है । है किसी में हिम्मत तो बिल्लन के रिकार्ड को तोडना तो दूर छू कर भी दिखाए ॥हां , नहीं तो …

सांड जी के ब्लोग पर

Yashwant Mehta, January 13, 2010 12:40 AM

वाह वाह
आज सांड महाराज का मूड बड़ा अच्छा लगता हैं. बड़ी गंभीर बात कह दी. बिलकुल सही, यह बाहर की दुनिया में कम गलियां सुनते हैं जो अब यहाँ पर भी सुने. ब्लॉग जगत में प्रेम का गीत गाते हुए आईये भाईचारे के साथ एक दुसरे की रचनाओ को चरते चले. आपकी रचना चर ली हैं और डकार भी मार ली. आईये हमारे ब्लॉग पर और चर डालिए सारीरचनाये

हमार टिप्पा :- आ हा हा , महाराज नंदी फ़्रैंड सांड जी के ब्लोग पर पहुंच कर उनका आशीर्वचनों का प्रसाद के बाद यशवंत भाई एतना प्रम पूर्वक, श्रद्धा से उनको दावत के लिए आमंत्रित किए हैं कि बस मन हरिया गया है ॥ सांड जी को भी हैप्पी ब्लाग्गिंग ,बस अब तो मेनका जी रह गई हैं , बकिया पूरा फ़ौज् तो ब्लोगियाईए रहा है जी

मंगलवार, 5 जनवरी 2010

टीप पे टिप्पा : टैण टैणेण......

लीजीए जी , सबका आदेश मान के हमने ब्लोग का नाम भी नया रख दिया है और बिहारी बाबू का साथ देने एक ठो झारखंडी बाबा टिपौती लाल जी भी आ गए हैं .............उ भी अपना हाथ आजमाएंगे समय समय पर....तो झेलिए ...

मिश्रा जी के ब्लोग पर आज कमेंट की खुराक भरपूर मिली


बवाल कहते हैं :-
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध

पंडितजी हम तो अलिफ़ बे पे ते टे से, जीम चे हे ख़े, दाल डाल ज़ाल से आगे बढ़ ही चले थे कि अचानक जीम ने ज़ाल को रोक लिया और कहा यहाँ मुझे आने देगा तो शायद पहली लाइन का जवाब सूझ जाए। हमने कहा जीम भी तो अपनी जबलपुर ब्रिगेड का हिस्सा है चलो इसका काम आसान कर दें। सो उसे उठाकर ज़ाल की जगह पहुँचा दिया। इससे हमें पहला हिंट मिला "जाल"।
हमने देखा कि पहली लाइन में "जाल" का रिलेटिव कौन है ? ज़ाहिर है व्याध।
अब शब्दार्थ आपको मालूम न हो ये तो हम कह ही नहीं सकते। और दोनों लाइनों का भावार्थ बताने के चक्कर में अच्छे खाँ, तुर्रम खाँ और फ़न्ने खाँ भी व्याध के इस सुनहरे जाल में इस तरह फ़ँसने वाले हैं कि फिर तो रिहाई ह्ज़ार ज़मानतों में भी मुश्किल होगी। हा हा ।
दिनकर विशेषज्ञों को जंजाल से सावधान करना फ़र्ज़े-बवाल था। कहाँ तक निभा पाए यह तो आगे पता चल ही जाएगा। आप बता ही चुके हैं कि यह तेज़ाबी परीक्षा है। और हम भी समझ चुके हैं के ये तेज़ाबी और सिर्फ़ तेज़ाबी परीक्षा है। हा हा।

पंडितजी आज आपको दिल से नमन है। बहुत गहरी बात है इस पोस्ट में।
4 January 2010 10:10


हमारा टिप्पा:- का बवाल जी, ई कईसन बवाल पे बवाल है भाई, आपका आन्सरवा पढ के तो लगा कि यार इससे आसान तो मिश्रा जी का प्रश्न ही था । आऊर आप दोनों जन मिल के केतना भारी भरकम मैसेज भेज दिए हैं देखिए तो भला । माने कि खाली ऊ पापी नहीं है जौन जौन चिकेन खाईस है , उहो ओतने पापी है जौन पौल्ट्री फ़ार्म खोले हैं जी तो कथा सार संग्रह ये कि ई हम लोग ब्लोगिंग ,हिंदी ब्लोग्गिंग के नाम पर जो मथ कुटौव्वल कर रहे हैं , उ सब ई गूगल बाबा की गलती है । एतना स्पेस दे दिए फ़्री में उठा पटक के लिए ...तो हे गुणी जनों समय लिखेगा गुगुलवा का अपराध ॥
लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अब विद्वान तो हम में से कोइ ऐसा नहीं जो पूर्ण ज्ञान का दावा करे :)
परंतु,
कुछ यही आशय है कि,
जैसा महिलाओं को प्रताडीत अवस्था में
समझाया जाता है कि,
' एक अपराध सह लेना मूर्खता होगी,
परंतु, उसके बाद,
अगर प्रताड़ना सहती रहोगी
वह कुछ अंश तक,
तुम्हारा अपना भी अपराध होगा '--

अब ये अलग बात है कि,
"प्रताड़ना " - स्त्री या पुरुष -
दोनों ही सहते हैं
चूंकि, ये विश्व,
कभी एक खेमे में ,
रुका नहीं
-- वाद विवाद - अंतहीन हैं ---

आशा है, हमारे ब्लॉग जगत में ,
शांति बनी रहे --
- संयम, सद`भावना, सौहार्द्र ,
मित्रता कायम रहे --
अन्यथा
" न जाने नया साल क्या गुल खिलाये " -- ये सच हो जाए !!
आपके समस्त परिवार के लिए आगामी नव वर्ष २०१० सुख शांति व समृध्धि लेकर आये इस शुभकामना सहीत

सद्भाव सहीत,
- लावण्या

हमार टिप्पा :- ई को कहते हैं एक तीर से पता नहीं केतना शिकार । का लावण्या जी , हम होते न तो एतना माल मसाला में तो तीन ठो टीप उडाए होते ,एक आप हैं देखिए तो भला ।प्रश्न का जवाब भी दे दीं, स्त्री पुरुष का गहन चिंतन भी हो गया और चलते चलते शुभकामना भी टिका दिया । ऐके लाईन का अर्थ पूछे तो एतना सब ठेल दी आप जो मिश्रा जी कहीं पूरा व्याख्या करने को कह देते तो...........हमें पूरा यकीन है कि एक सुंदर सी टीप एकदम पोस्ट जैसी फ़ीलींग वाली पढने को मिल जाती ॥

गिरिजेश राव said...

हमें अपनी एक पुरानी कविता का अंश याद आ गया। एक शिव बाबू उसमें भी हैं - व्याध व्याध में फरक होत है। जब तक हम कविता की कुंजी ढूढ़ें, आप लोग मनन करें। पूरी कविता यहाँ है: http://kavita-vihangam.blogspot.com/2009/11/2.html।
"
अचानक शुरू हुई डोमगाउज
माँ बहन बेटी सब दिए समेट
जीभ के पत्ते गाली लपेट
विवाद की पकौड़ी
तल रही नंगी हो
चौराहे पर चौकड़ी।
रोज की रपट
शिव बाबू की डपट
से बन्द है होती
लेकिन ये नाली उफननी
बन्द क्यों नहीं होती?
"
हमारा टिप्पा :- आप एकदमे ठीक नाम रखे हैं आलसी , बताईयो तो भला इहां केतना गंभीर प्रश्नोत्तर राऊंड चल रहा है और आपको कविता याद आ गया, और ऊपर से लंठई भी प्रमाणित कर दिए ठेलिए दिए न आप , ऊ भी लिंक समेत । बच गए आप जो अभी गूगल बाबा ने पेमेंट चालू कर दिया होता तो , भारी जुर्माना लगता आप पर , कि मिश्रा जी के प्लौट पर बहाने से आप अपना एक ठो कोठरिया आप डाल दिए । एतना आलस , राम राम , मजा आ गया , सबको थोडा थोडा ई आलस प्रेषित कीजीये न ॥

अलबेला जी के ब्लोग पर

डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर January 4, 2010 9:18 PM

ये तो भारत रत्न जैसा, पद्म अवार्ड जैसा विवाद हो गया, हम तो बिना बात के ही आप सभी की निगाह में आ गए. पिछले डेढ़ साल से लिख-लिख कर प्रयास में थे कि कैसे भी सफल हो जाएँ, अब ई-मेल बना बना कर थके जा रहे हैं कि कैसे भी १०० मतों का जुगाड़ हो जाए. उफ़ आज तो थक गए अभी तक २०-२५ ही बन सकीं हैं............
आखिर विवाद क्यों? कब तक देश में समिति, आयोग बनते रहेंगे? कब तक लोगों की वरिष्ठता का रोना रोया जाता रहेगा?
चलिए अब बस ई-मेल भी बनानी है, जीतना जो है....

हमार टिप्पा :- का डा साहब , एतने में थक गए, अभी तो हमको आपका मेल मिला भी नहीं है । ओईसे आप एकदम बेफ़िक्र रहिए ई से पहले भी हम बहुत लोगन को अपना मत से केतना पुरस्कार जितवाए हैं , लेकिन अबकी मुश्किल लग रहा है काहे से कि ई ब्लोगगर नगरिया न है । इहां के दस्तूर निराले हैं । ओईसे अलबेला जी बहुते ठोके मांजे आमदी हैं न , इसलिए ई बार कौनो जासूसी,कौनो चालाकी चलेगा नहीं । हम तो सोच रहे हैं कि हमरा नाम नहीं है , बढिया हुआ खामख्वाह एतना दिन टेंशन में रहते कि ...पच्चीस हज़ार मिलने के टेंशन में लिखिए पढिए नहीं पाते ....ब्लोग खोलते ही खाली नोटवा सब दिखता न ॥


अदा जी के पोस्ट पर :-
बवाल said...

बाप रे अदा जी,
घर वर की सुन्दरता तो खै़र ठीक है ये पाबला जी से तो अब दहशत टाइप की हो रही है।
अरे सरदार जी ने कहीं लोगों के बाथवाथ रूम के सीन वीन न ले लिए हों। बाद में कालापत्र सॉरी ब्लॅकमेल करने के लिए। दोस्तों सावधान। अच्छा हुआ अदाजी आपने बतला दिया। खिड़की में परदा क्या हम तो अब अपारदर्शी बुरका डाल कर नहाने की योजना बना रहे हैं। हा हा।


हमारा टिप्पा :- जे बात , बवाल भाई अब बवाल मचाने से कोई फ़ायदा नहीं ,अब तो फ़ोटो खिंच ली और इसी खुफ़िया रिपोर्टिंग विथ फ़ोटोग्राफ़ी में भेद खुला है कि आजकल ब्लोग पर जो बाबा लोग अपनी अपनी लंगोटी ढूंढने में लगे हैं वो सब आपही ने उडाई हैं । अरे हमको तो पता चला है कि उसी कैमरा से ई सब फ़ोटो भी खींचा गया है कि कौन कौन लोग/लोगिन अनाम टाईप बन के सबको खूबे गरियाए हैं जी । देखिए न का का होता है , ई तो खाली ट्रेलर है ........पिक्चर अभी बांकी है मेरे दोस्त ॥


खुशदीप जी के देशनामा पर डाक्टर साहब said

डा० अमर कुमार said...


खुशदीप लल्ला..
अपुन दास मलूका टाइप मानुष हैं, लल्लो-चप्पो नहीं करते ।
नववर्ष की पूर्व-सँध्या पर तुम्हारे द्वारा चित्रित तीन विसँगतियों ने तुम्हारे द्वारा चित्रित तीन विसँगतियों ने मुझे भी उतना ही उद्वेलित किया, जितना आप हुये होगे ।
मैं पोस्ट तैयार करने की सोच रहा था, और तुम्हारी यह पोस्ट पढ़ने को मिल गयी । सो.. लल्ला, हमनें लिखबे को का ज़रूरत ?
इसे कहते हैं, पॅरपज़फुल ब्लॉगिंग !
और आपने यहाँ मुझको लेकर एक मुहिम छेड़ दी ? ऎसा नहीं है..
टँकी-वँकी.. रूठ-तकरार.. मैं क्या जानूँ रे
जानूँ तो जानूँ बस ये कि अपना कुँआ जानूँ रे

आजकल अपने कुँयें, समझो कि डोमेन को कॅनफिगर कर रहा हूँ, फिर वहीं चैन से टर्रायेंगे ।
जानते ही हो कि, बुद्धिजीवी गोत्र में दिखने की मज़बूरी है, कि गाहे बगाहे, बात बेबात, बेमौसम टर्राना..
मुला अविनाश जी ने दिल खुश कर दिया, टर्र महाराज की टर्र हवा कर दी ।


हमार टिप्पा :- अब डा साहब के टीप पर का टिप्पाएं, मुदा सब ठो पोल तो डाग्दर बाबू अपने न खोल दिए , कहे हैं कि डोमेन कनफ़िगर करा रहे हैं , कराईये सर कराईये । हम तो जाने केतना टाईम से अपन वोमेन को कनफ़िगर करा रहे हैं कि काहे हमको एतना टोकरिया भर भर के गरियाती हो , तुमही काहे नहीं हमरे साथ भी ब्लोगियाती हो जी । मुदा ऊ कहां मानती हैं जी । डा. साहब आप कभी मलूका दास हैं तो कभी अपने बेंग बन जाते हैं , सब कुछे आपके अधिकार क्षेत्र में है । और हम तो कह रहे हैं भाई खुशदीप जी डा. साहेब ई मुहिम से नहीं मानेंगे ......एक ठो बडका टाईप आंदोलन चलाया जाए का कहते हैं ..????????

बिल्लन के खेल खुल्लम खुल्ला में

संगीता पुरी said...

नरेन्‍द्र मोदी ही हैं .. किसी को लिंक चाहिए क्‍या ?

हमार टिप्पा :- हां हां संगीता जी चाहिए नरेंद्र मोदी जी का लिंक किसको नहीं चाहिए । ओईसे तो लाल अडवाणी न कहेंगे काहे से ऊ तो कह रहे हैं कि धत हमरा तो लुटिया डुबा दिहिस । कुछ आतंकवदिया सब भी कह रहा था कि हमही को लिंक दे दो ,केतना दिन से ढूंढ रहे हैं उनको उडाने के लिए । हमको तो लिंक खाली ई लिए चाहिए कि सोच रहे हैं गुजरात में एक ठो दोकान शुरू करें ...लिट्टी विथ ढोकला कौंबो पैक वाली स्कीम से । उनका लिंक रहेगा तो दुकानदारी बढिया जमेगा । और कौन कौन नेता का लिंक है आपके पास । ज्योतिषी लोगन से सबका जान पहचान रहता है अईसा सुने थे हम भी ...आज पक्का हो गया ॥


हमरे अपने ही ब्लोग पर
cmpershad ने कहा…

गांव की यात्रा समाप्त... अब शहर की यात्रा शुरू... ब्लाग लेखन, ब्लागर मीट यही कुछ चलता रहेगा और हां दोहाकार चर्चा भी:)

इसका तो टिप्पा हम वहीं धर दिए रहे , देखा पढा जाए

प्रसाद जी कभी कभी पोस्ट के विषय में भी कुछ लिख दिया करें तो बच्चे का मार्गदर्शन हो जाएगा , अब क्या करें ब्लोग्गिंग में , प्रधान मंत्री बनना, या यमुना साफ़ करना, या कोपेनहेगन समझौता कर लेना, या कोई क्रिकेट मैच करवाने की फ़ैसिलिटी अभी शुरू नहीं हुई है , जैसे ही होगी , ये सब छोड के उन पर ध्यान दिया जाएगा



मुखिया जी कस्बा में फ़रमाते हैं :-

रविश भाई - मन खुश हो गया - आपका लेख पढ़ कर ! "सड़क-छाप" या "सड़क-निर्माण" मुख्यमंत्री ने कुछ किया है ! पर वो कर बहुत कुछ सकते थे ! जिस अखबार समूह ने इस तरक्की की खबर जिस तरक्की से बता रहा है - जरा गौर फरमाए ! काफी दिनों से इस अखबार समूह के सभी संस्करण में "सड़क-निर्माण" की निविदाएँ छाप रही हैं - ५-६ पेज में ! जैसे ..पिपरा - कोठी के किसी गाँव के सड़क निर्माण का टेंडर - इस अखबार समूह के बंगलोर और मुंबई इत्यादी संस्करण में ढेर सारे " टेंडर" आये ! सड़क निर्माण मुख्यमंत्री को लगा होगा की मुंबई के ठेकेदार शायद मुखिया जी के गाँव का सड़क बनवा दें ! खैर... अब अखबार समूह का भी कर्तव्य बनता है - कुछ छापने का - खबर के रूप में ! वैसे एक बार आप ने सही कहा था की - नितीश जी "सड़क निर्माण" मुख्यमंत्री हैं ! वो बात बिलकुल सच्ची लगी ! विशेष ..तो इस वर्ष चुनाव भी है ! हो सकता है ...नितीश खुद कई ..."तिवारी" - "पाण्डेय" - "सिंह" को टिकट मिल जाए !
January 5, 2010 3:14 PM

हमार टिप्पा :- आयं , मुखिया जी , पहिले तो ई बताईये कि गोया ई प्रशंसा था कि खाली प्रशंसा के पैकिंग वाला सस्पेंशन और्डर था । सडक वाले सी एम , कमाल का एंगल है जी ई पर तो एक ठो बढिया सिनेमा बन सकता है .....बस आमिर खान बनाएं तो हिट होईये जाएगा । सब कुछे सडक पे, सडक पे विकास, सडक पे खेती, सडक पे मकान दुकान , अस्पताल, इस्कूल, सब कुछ सडक पे , फ़िर हम देश से अलग होने के लिए सडकांचल की मांग उठाएंगे ॥

डा अनुराग प्रशांत की छोटी सी दुनिया में बोले हैं जी :-
याद करने की कोशिश करता हूं पर याद नहीं आता .कुछ दिन पहले फार्मा इंडस्ट्री वाले कई सारे ग्रीटिंग लेकर आये थे बोले "सर "नए साल में किसी को भेजने हो ...मैंने कहा नहीं भाई .एस एम् एस की बेगारी बहुत है....अब तो लगता गई इश्क का इज़हार भी लिखे से नहीं होता होगा....

हमारा टिप्पा :-का डा. साहब , आजकल तो लोग इश्क का इजहार करने के लिए लिखते पढते कहां हैं हां सुना है कि ससुरे डायरेक्ट ही सनीमा ले जाते हैं और इंटरवल आते आते बोल डालते हैं बिंदास............आती क्या खंडाला। हां तो ठीक, वर्ना शहर में क्या सनीमा हाल की कमी है , मौर्निंग शो में न सही मैटिनी में ही सही, और ये वाली न सही वो वाली ही सही ॥





शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

जो भी आपने टीपा , मुझे तो ऐसा दीखा (टिपण्णी चर्चा )

नए साल के आगमन पर आप सबको एक बार फ़िर से बहुत बहुत बधाई और शुभकामना। मैं सोच रहा था कि अब इस नए साल क्या कुछ अलग किया जाए , फ़िर ध्यान आया कि अब तक झा जी कहिन के माध्यम से आपकी पोस्टों को सजाने का काम तो मैं कर ही रहा हूं तो क्यों न , अब आपकी टीपों को सजाने, न सिर्फ़ सजाने बल्कि उन टीपों के उपर एक टिप्पा लगाने का काम शुरू कर दूं ......क्या पता आपको दिलचस्प लग ही जाए॥ यहां मैं इस ब्लोग का पहला पोस्ट लिखते हुए स्पष्ट कर दूं कि मेरा ये प्रयास सिर्फ़ ये दिखाने/बताने की कोशिश है कि जितनी मजेदार, रुचिकर , और महत्वपूर्ण यहां पर पोस्टें हैं उतनी ही मजेदार .....यहां पाठकों की टिप्पणी भी । और उस पर मेरा टिप्पा बस एक चिकोटी भर है ....खुशी के लिए । उम्मीद है कि मेरा ये प्रयास आपको पसंद आएगा और ये नया ब्लोग भी ॥
तो लिजीये देखिए आपने क्या कहा , सुना, देखा



धान के देश में फ़रमाया गया है :-

ललित शर्मा, January 1, 2010 12:35 PM

अवधिया जी इन 29वर्षों मे भी कुछ नही बदला है
और आगे 100सालों तक भी नही बदलने वाला, खुन चुसने वाले पिस्सु नही मरने वाले।

पुज्य पिताजी की कविताएं पढवा कर कृतार्थ हो गए
आभार


हमारा टिप्पा : का शर्मा जी यानि कि इसका मतलब कि दुनिया का एके ठो शाश्वत सत्य है कि , ई पिस्सु सब एक दम बुडबक है , ई लोग हैप्पी न्यू ईयर नहीं मनाता है और अगली एक शताब्दी तक के लिए तो ई फ़ाईनल होईये गया है । चलिए साल के पहले दिन का सबसे महत्वपूर्ण खोज हो गया ॥


अंधड में सुलभ सतरंगी फ़रमाते हैं :-


वाह गोदियाल साहब, क्या अंदाजे बयान है.
दर्द की भी ना मालूम कितनी जुबान है

ये लीजये एक डिजाइनर बधाई.
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/_ /ear 2010

ऊपर से एक हिंगलिश कविताई -

एक साहित्यकार दूजा ब्लोगर
बनी है जिंदगानी ट्राई-ब्रेकर

- सुलभ जायसवाल 'सतरंगी

हमारा टिप्पा : का बात है सुलभ जी , ई मोबाईलवा वाला डिजाईनर बधाई इहां भी , आज समझे कि आपके नाम के साथ लगा सतरंगा का मतलब का है जी । और उपर से , ई बताईये उपर से कैसे जी .......????आप लिखे तो उसको नीचे हैं , खैर उ आप जानिए .....उपर से हिंग्लिश कविताई .....एक दम से फ़ंसा दिए ...टाई ब्रेकर में जिंदगानी को भी और ...ब्लोगर को भी ॥

बाबा लंगोटानंद जी महाराज अपने ही ब्लोग में खुदे टिपियाते हैं :-

सभी ब्लोगर बच्चा, कोई भी समस्या हो, तुरंत निसंकोच संपर्क करो,
हमारी भभूत द्वारा हर समस्या का निदान संभव है, हमारे मठ में
हिमालय की जड़ी-बूटी द्वारा मंत्रित भभूत चमत्कारी असर करेगी !
नक्कालों से सावधान ! नव वर्ष में सभी ब्लागरों का कल्याण हो !


हमारा टिप्पा : वाह बाबा वाह , हम तो जानिए रहे थे कि जब ई सब कच्छा धारी , धोती धारी, लुंगी धारी, और भी जितन धारी बाबा सब एक दम फ़्लौप हो जाएंगे तो एक दिन सबका दुख हरने वाला लंगोट धारी बाबा अईबे करेंगे , पहिले तो दंडवत प्रणाम कुबूल किया जाए । समस्या सब का लिस्ट हम बाद में आपको पेजर पे भेज देंगे , एक एक करके , मगर महाराज ई भभूत हमको अईसन दिजीयेगा जो हमारा मुर्गा खा सके । ओह समझे नहीं , दरअसल हम दवाई , भभूत , सिरप , सब का सेवन भाया मुर्गा ही करते हैं । मानि पहिले उसको खिलाएंगे ,,,फ़िर उसको खाएंगे ......अरे मुर्गा को यार और किसको ..........?????

कुछ अलग सा में नेहा पाठक कहती हैं :-

देखा जाए तो सिर्फ एक दिन बदल रहा, नव वर्ष तो तब आएगा जब ये अमीर-गरीब की खाई पट जाएगी, एक समतल ज़मीन न सही तो एक छोटे से खड्डे का रूप ले लेगी।


हमारा टिप्पा :-हां नेहा जी , कह तो आप एकदम ठीक रही हैं , मगर यहां तो सब के सब फ़ावडा कुदाल लिए घूम रहे हैं , सब अपने अपने हिसाब से लगे हुए हैं , जिसे समतल जमीन मिल रही है, वो गड्ढा खोद रहा है, और जिसे गड्ढा मिलता है वो उसे भर के समतल जमीन बनाने पर तुला हुआ है ।


तमन्ना ब्लोग में श्यामल सुमन जी कविताते हैं :-

अक्सर खामोशी में मिले छुपी हुई आवाज।
समझ लिया जिसने इसे मिले उसी को ताज।।

यही कामना हो सतत उपजे सब में प्यार।
चाह सुमन की आप संग सुखी रहे परिवार।।

सादर
श्यामल सुमन

हमारा टिप्पा: अब इतना सुंदर कविताई पर हम का टिप्पा दें , बस एतना ही कहना होगा ...................आमीन ॥



ताउ के ब्लोग मुरारी पारीक जी टीपे हैं :-


वाह हीरू भैये क्या भविष्य बताया है| सचमुच अमेरिका से अच्छा अंक ज्ञान और मंत्र सिख कर आयाहै|
क्या अमेरिका वाले भैरूं मंत्र पढ़ते हैं !!! हा..हा.. ब्लोगरों को रात का बचा बासी खाना हा..हा...और लालितानान्दजी झाड फूंक और समीरानन्दजी के ताबीज!!!!! हीरू भिया लगता है कमीशन रखे हो बाबाओं के साथ हां.हां. मजा आ गया!!!! और ताउजी आपने बिलकुल सही फैसला लिया की पुराने गण..बिनू फ़िरंगी, चंपाकली, अनारकली, संतू गधेडा, शेरू महाराज, सियार साहब और हीरामन और रामप्यारी के साथ ही काम करेंगे !!!


हमरा टिप्पा :- मुरारी बच्चा , अरे जब ताऊ जी, हिरामन , रामप्यारी, और जौन गण सब का नाम आप लिए हो ऊ सब एके साथ धमाल मचाएंगे तो ई जो है न ओबामा ,ऊ भी भैरू मंत्र पढ पढ के करेगा हंगामा ॥ हीरू और रामप्यारी तो ज्वाईंट वेंचर में अपना कंपनी चला रहिस है और जेतना कमीशन मिल रहा है उ सब ठो दोनों बाबा लोग , अपना आश्रम के कल्याण में लगा रहे हैं । जब फ़ंड बहुत बढिया हो जाएगा तो उससे ब्लोग्गर्स को पेंशन दिया जाएगा , का समझे ॥


और अब देशनामा में की गई टीपों को देखा जाए


अदा जी ,

आज कोई भी टेंशन लेने का मूड नहीं है...
इसलिए २ करोड़ का रगड़ा बाद में देखेंगे....
और हाँ...बहुत पहले एक गाना बड़ा हिट हुआ था...
झूठ बोले कौवा काटे काले कौवे से डरियो...!!
आज भी ये गाना उतना ही हिट है....

ना जाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं...!!!!
हां नहीं तो...!!

नव वर्ष मंगलमय हो...!!!

हमारा टिप्पा : मतलब खाली आजे मूड नहीं है, कल से तो रहिएगा न मूड में । इहां दु रुपया के लिए झगडा हो जाता है और आप दो करोड को रगडा कह रही हैं , तभिए तो आपका स्टेट का ऊ था न कौन तो , कोडा , सब ठो पैसा खा गया घोडा बनके । हां खुशदीप भाई को गाना सुना के बदला ले लिए ....ई ठीक किए ॥हम भी सोच रहे हैं एक टीप के साथ एक ठो गाना कंपल्सरी कर दें खुशदीप भाई के लिए ......जाने कहां कहां से .....मतलब ...। अरे आउर कहां ....न्यूज चैनल से आते हैं ॥

शबनम खान जी

नए साल के नए दिन में दिमाग को क्या झटका दे डाला जी आपने खुशदीप जी....खुद तो चलते बने ब्रेक लेने यहाँ हमें उलझा दिया...
(कृप्या अटल जी के स्टाइल में पढ़े..)
"ये अच्छी बात नही है"
नए साल की शुभकामनाएँ...

हमारा टिप्पा :- अटल जी के स्टाईल में , देखिए देखिए , ई आप लोग भी न , आडवाणी जी को और कितना दुख दीजिएगा जी । बेचारे सोच रहे थे कि कम से कम आमिर खान जब गज़नी के लिए टकले हुए थे तो , शायद तब ही मिनट दो मिनट के लिए गंजेपन का क्रेडिट दे देते । मगर न जी , उन्होंने तो सर मुंडवा के उस पे हाईवे बनवा दिया और आडवाणी जी को वो क्रेडिट भी नहीं मिला । अब तो सुना है एक गद्दी थी वो भी गई । ...ये अच्छी बात नहीं है ॥

और आखिर में अपने सी एम प्रसाद जी :-

अरे! चौथा सीन तो छोड़ ही दिये जिसमें हम है...... रोज़ की तरह चादर तान के सो रहे हैं :)

हमारा टिप्पा :- अरे आप चादर तान के सो रहे थे ........हांय ...सर हमको तो लगता है कि आपके चादर में एक छेद है उसमें से गज़ब गज़ब की टीप निकल के आ रही थी, थी क्या ..........अभी भी आ रही है । चादर एक ठां कर के तान दिए हैं लगता है मांड में धो के । अब चादर के अंदर का सीन शूट करके , खुशदीप भाई को अपना न्यूज चैनल बंद करवाना है का .........??? हमको पता है कि आप हमरे टिप्पा के ऊपर एक ठो और लारा लप्पा लाद दीजिएगा ॥

चिट्ठा चर्चा ब्लोग में जाकिर अली रजनीश जी :-

नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
--------


हमारा टिप्पा :- का बात कही है जाकिर भाई, मुदा ऐड्रेस तो दिए ही नहीं आप । पता नहीं कितना मंत्री सब आपके घर का पता पूछ रहा है । कह रहा है कि स्विस बैंक के बाद कोई तो ठिकाना मिला अपन माल छुपाने के लिए । देखिए जल्दी से सबको मेल ठेल दीजिए ,और उस फ़ंड से ब्लोग्गर्स के लिए , कोई धांसू सी कल्याणात्म स्कीम चलाईये ......व्हाट एन आईडिया सर जी ॥