मंगलवार, 5 जनवरी 2010

टीप पे टिप्पा : टैण टैणेण......

लीजीए जी , सबका आदेश मान के हमने ब्लोग का नाम भी नया रख दिया है और बिहारी बाबू का साथ देने एक ठो झारखंडी बाबा टिपौती लाल जी भी आ गए हैं .............उ भी अपना हाथ आजमाएंगे समय समय पर....तो झेलिए ...

मिश्रा जी के ब्लोग पर आज कमेंट की खुराक भरपूर मिली


बवाल कहते हैं :-
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध

पंडितजी हम तो अलिफ़ बे पे ते टे से, जीम चे हे ख़े, दाल डाल ज़ाल से आगे बढ़ ही चले थे कि अचानक जीम ने ज़ाल को रोक लिया और कहा यहाँ मुझे आने देगा तो शायद पहली लाइन का जवाब सूझ जाए। हमने कहा जीम भी तो अपनी जबलपुर ब्रिगेड का हिस्सा है चलो इसका काम आसान कर दें। सो उसे उठाकर ज़ाल की जगह पहुँचा दिया। इससे हमें पहला हिंट मिला "जाल"।
हमने देखा कि पहली लाइन में "जाल" का रिलेटिव कौन है ? ज़ाहिर है व्याध।
अब शब्दार्थ आपको मालूम न हो ये तो हम कह ही नहीं सकते। और दोनों लाइनों का भावार्थ बताने के चक्कर में अच्छे खाँ, तुर्रम खाँ और फ़न्ने खाँ भी व्याध के इस सुनहरे जाल में इस तरह फ़ँसने वाले हैं कि फिर तो रिहाई ह्ज़ार ज़मानतों में भी मुश्किल होगी। हा हा ।
दिनकर विशेषज्ञों को जंजाल से सावधान करना फ़र्ज़े-बवाल था। कहाँ तक निभा पाए यह तो आगे पता चल ही जाएगा। आप बता ही चुके हैं कि यह तेज़ाबी परीक्षा है। और हम भी समझ चुके हैं के ये तेज़ाबी और सिर्फ़ तेज़ाबी परीक्षा है। हा हा।

पंडितजी आज आपको दिल से नमन है। बहुत गहरी बात है इस पोस्ट में।
4 January 2010 10:10


हमारा टिप्पा:- का बवाल जी, ई कईसन बवाल पे बवाल है भाई, आपका आन्सरवा पढ के तो लगा कि यार इससे आसान तो मिश्रा जी का प्रश्न ही था । आऊर आप दोनों जन मिल के केतना भारी भरकम मैसेज भेज दिए हैं देखिए तो भला । माने कि खाली ऊ पापी नहीं है जौन जौन चिकेन खाईस है , उहो ओतने पापी है जौन पौल्ट्री फ़ार्म खोले हैं जी तो कथा सार संग्रह ये कि ई हम लोग ब्लोगिंग ,हिंदी ब्लोग्गिंग के नाम पर जो मथ कुटौव्वल कर रहे हैं , उ सब ई गूगल बाबा की गलती है । एतना स्पेस दे दिए फ़्री में उठा पटक के लिए ...तो हे गुणी जनों समय लिखेगा गुगुलवा का अपराध ॥
लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अब विद्वान तो हम में से कोइ ऐसा नहीं जो पूर्ण ज्ञान का दावा करे :)
परंतु,
कुछ यही आशय है कि,
जैसा महिलाओं को प्रताडीत अवस्था में
समझाया जाता है कि,
' एक अपराध सह लेना मूर्खता होगी,
परंतु, उसके बाद,
अगर प्रताड़ना सहती रहोगी
वह कुछ अंश तक,
तुम्हारा अपना भी अपराध होगा '--

अब ये अलग बात है कि,
"प्रताड़ना " - स्त्री या पुरुष -
दोनों ही सहते हैं
चूंकि, ये विश्व,
कभी एक खेमे में ,
रुका नहीं
-- वाद विवाद - अंतहीन हैं ---

आशा है, हमारे ब्लॉग जगत में ,
शांति बनी रहे --
- संयम, सद`भावना, सौहार्द्र ,
मित्रता कायम रहे --
अन्यथा
" न जाने नया साल क्या गुल खिलाये " -- ये सच हो जाए !!
आपके समस्त परिवार के लिए आगामी नव वर्ष २०१० सुख शांति व समृध्धि लेकर आये इस शुभकामना सहीत

सद्भाव सहीत,
- लावण्या

हमार टिप्पा :- ई को कहते हैं एक तीर से पता नहीं केतना शिकार । का लावण्या जी , हम होते न तो एतना माल मसाला में तो तीन ठो टीप उडाए होते ,एक आप हैं देखिए तो भला ।प्रश्न का जवाब भी दे दीं, स्त्री पुरुष का गहन चिंतन भी हो गया और चलते चलते शुभकामना भी टिका दिया । ऐके लाईन का अर्थ पूछे तो एतना सब ठेल दी आप जो मिश्रा जी कहीं पूरा व्याख्या करने को कह देते तो...........हमें पूरा यकीन है कि एक सुंदर सी टीप एकदम पोस्ट जैसी फ़ीलींग वाली पढने को मिल जाती ॥

गिरिजेश राव said...

हमें अपनी एक पुरानी कविता का अंश याद आ गया। एक शिव बाबू उसमें भी हैं - व्याध व्याध में फरक होत है। जब तक हम कविता की कुंजी ढूढ़ें, आप लोग मनन करें। पूरी कविता यहाँ है: http://kavita-vihangam.blogspot.com/2009/11/2.html।
"
अचानक शुरू हुई डोमगाउज
माँ बहन बेटी सब दिए समेट
जीभ के पत्ते गाली लपेट
विवाद की पकौड़ी
तल रही नंगी हो
चौराहे पर चौकड़ी।
रोज की रपट
शिव बाबू की डपट
से बन्द है होती
लेकिन ये नाली उफननी
बन्द क्यों नहीं होती?
"
हमारा टिप्पा :- आप एकदमे ठीक नाम रखे हैं आलसी , बताईयो तो भला इहां केतना गंभीर प्रश्नोत्तर राऊंड चल रहा है और आपको कविता याद आ गया, और ऊपर से लंठई भी प्रमाणित कर दिए ठेलिए दिए न आप , ऊ भी लिंक समेत । बच गए आप जो अभी गूगल बाबा ने पेमेंट चालू कर दिया होता तो , भारी जुर्माना लगता आप पर , कि मिश्रा जी के प्लौट पर बहाने से आप अपना एक ठो कोठरिया आप डाल दिए । एतना आलस , राम राम , मजा आ गया , सबको थोडा थोडा ई आलस प्रेषित कीजीये न ॥

अलबेला जी के ब्लोग पर

डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर January 4, 2010 9:18 PM

ये तो भारत रत्न जैसा, पद्म अवार्ड जैसा विवाद हो गया, हम तो बिना बात के ही आप सभी की निगाह में आ गए. पिछले डेढ़ साल से लिख-लिख कर प्रयास में थे कि कैसे भी सफल हो जाएँ, अब ई-मेल बना बना कर थके जा रहे हैं कि कैसे भी १०० मतों का जुगाड़ हो जाए. उफ़ आज तो थक गए अभी तक २०-२५ ही बन सकीं हैं............
आखिर विवाद क्यों? कब तक देश में समिति, आयोग बनते रहेंगे? कब तक लोगों की वरिष्ठता का रोना रोया जाता रहेगा?
चलिए अब बस ई-मेल भी बनानी है, जीतना जो है....

हमार टिप्पा :- का डा साहब , एतने में थक गए, अभी तो हमको आपका मेल मिला भी नहीं है । ओईसे आप एकदम बेफ़िक्र रहिए ई से पहले भी हम बहुत लोगन को अपना मत से केतना पुरस्कार जितवाए हैं , लेकिन अबकी मुश्किल लग रहा है काहे से कि ई ब्लोगगर नगरिया न है । इहां के दस्तूर निराले हैं । ओईसे अलबेला जी बहुते ठोके मांजे आमदी हैं न , इसलिए ई बार कौनो जासूसी,कौनो चालाकी चलेगा नहीं । हम तो सोच रहे हैं कि हमरा नाम नहीं है , बढिया हुआ खामख्वाह एतना दिन टेंशन में रहते कि ...पच्चीस हज़ार मिलने के टेंशन में लिखिए पढिए नहीं पाते ....ब्लोग खोलते ही खाली नोटवा सब दिखता न ॥


अदा जी के पोस्ट पर :-
बवाल said...

बाप रे अदा जी,
घर वर की सुन्दरता तो खै़र ठीक है ये पाबला जी से तो अब दहशत टाइप की हो रही है।
अरे सरदार जी ने कहीं लोगों के बाथवाथ रूम के सीन वीन न ले लिए हों। बाद में कालापत्र सॉरी ब्लॅकमेल करने के लिए। दोस्तों सावधान। अच्छा हुआ अदाजी आपने बतला दिया। खिड़की में परदा क्या हम तो अब अपारदर्शी बुरका डाल कर नहाने की योजना बना रहे हैं। हा हा।


हमारा टिप्पा :- जे बात , बवाल भाई अब बवाल मचाने से कोई फ़ायदा नहीं ,अब तो फ़ोटो खिंच ली और इसी खुफ़िया रिपोर्टिंग विथ फ़ोटोग्राफ़ी में भेद खुला है कि आजकल ब्लोग पर जो बाबा लोग अपनी अपनी लंगोटी ढूंढने में लगे हैं वो सब आपही ने उडाई हैं । अरे हमको तो पता चला है कि उसी कैमरा से ई सब फ़ोटो भी खींचा गया है कि कौन कौन लोग/लोगिन अनाम टाईप बन के सबको खूबे गरियाए हैं जी । देखिए न का का होता है , ई तो खाली ट्रेलर है ........पिक्चर अभी बांकी है मेरे दोस्त ॥


खुशदीप जी के देशनामा पर डाक्टर साहब said

डा० अमर कुमार said...


खुशदीप लल्ला..
अपुन दास मलूका टाइप मानुष हैं, लल्लो-चप्पो नहीं करते ।
नववर्ष की पूर्व-सँध्या पर तुम्हारे द्वारा चित्रित तीन विसँगतियों ने तुम्हारे द्वारा चित्रित तीन विसँगतियों ने मुझे भी उतना ही उद्वेलित किया, जितना आप हुये होगे ।
मैं पोस्ट तैयार करने की सोच रहा था, और तुम्हारी यह पोस्ट पढ़ने को मिल गयी । सो.. लल्ला, हमनें लिखबे को का ज़रूरत ?
इसे कहते हैं, पॅरपज़फुल ब्लॉगिंग !
और आपने यहाँ मुझको लेकर एक मुहिम छेड़ दी ? ऎसा नहीं है..
टँकी-वँकी.. रूठ-तकरार.. मैं क्या जानूँ रे
जानूँ तो जानूँ बस ये कि अपना कुँआ जानूँ रे

आजकल अपने कुँयें, समझो कि डोमेन को कॅनफिगर कर रहा हूँ, फिर वहीं चैन से टर्रायेंगे ।
जानते ही हो कि, बुद्धिजीवी गोत्र में दिखने की मज़बूरी है, कि गाहे बगाहे, बात बेबात, बेमौसम टर्राना..
मुला अविनाश जी ने दिल खुश कर दिया, टर्र महाराज की टर्र हवा कर दी ।


हमार टिप्पा :- अब डा साहब के टीप पर का टिप्पाएं, मुदा सब ठो पोल तो डाग्दर बाबू अपने न खोल दिए , कहे हैं कि डोमेन कनफ़िगर करा रहे हैं , कराईये सर कराईये । हम तो जाने केतना टाईम से अपन वोमेन को कनफ़िगर करा रहे हैं कि काहे हमको एतना टोकरिया भर भर के गरियाती हो , तुमही काहे नहीं हमरे साथ भी ब्लोगियाती हो जी । मुदा ऊ कहां मानती हैं जी । डा. साहब आप कभी मलूका दास हैं तो कभी अपने बेंग बन जाते हैं , सब कुछे आपके अधिकार क्षेत्र में है । और हम तो कह रहे हैं भाई खुशदीप जी डा. साहेब ई मुहिम से नहीं मानेंगे ......एक ठो बडका टाईप आंदोलन चलाया जाए का कहते हैं ..????????

बिल्लन के खेल खुल्लम खुल्ला में

संगीता पुरी said...

नरेन्‍द्र मोदी ही हैं .. किसी को लिंक चाहिए क्‍या ?

हमार टिप्पा :- हां हां संगीता जी चाहिए नरेंद्र मोदी जी का लिंक किसको नहीं चाहिए । ओईसे तो लाल अडवाणी न कहेंगे काहे से ऊ तो कह रहे हैं कि धत हमरा तो लुटिया डुबा दिहिस । कुछ आतंकवदिया सब भी कह रहा था कि हमही को लिंक दे दो ,केतना दिन से ढूंढ रहे हैं उनको उडाने के लिए । हमको तो लिंक खाली ई लिए चाहिए कि सोच रहे हैं गुजरात में एक ठो दोकान शुरू करें ...लिट्टी विथ ढोकला कौंबो पैक वाली स्कीम से । उनका लिंक रहेगा तो दुकानदारी बढिया जमेगा । और कौन कौन नेता का लिंक है आपके पास । ज्योतिषी लोगन से सबका जान पहचान रहता है अईसा सुने थे हम भी ...आज पक्का हो गया ॥


हमरे अपने ही ब्लोग पर
cmpershad ने कहा…

गांव की यात्रा समाप्त... अब शहर की यात्रा शुरू... ब्लाग लेखन, ब्लागर मीट यही कुछ चलता रहेगा और हां दोहाकार चर्चा भी:)

इसका तो टिप्पा हम वहीं धर दिए रहे , देखा पढा जाए

प्रसाद जी कभी कभी पोस्ट के विषय में भी कुछ लिख दिया करें तो बच्चे का मार्गदर्शन हो जाएगा , अब क्या करें ब्लोग्गिंग में , प्रधान मंत्री बनना, या यमुना साफ़ करना, या कोपेनहेगन समझौता कर लेना, या कोई क्रिकेट मैच करवाने की फ़ैसिलिटी अभी शुरू नहीं हुई है , जैसे ही होगी , ये सब छोड के उन पर ध्यान दिया जाएगा



मुखिया जी कस्बा में फ़रमाते हैं :-

रविश भाई - मन खुश हो गया - आपका लेख पढ़ कर ! "सड़क-छाप" या "सड़क-निर्माण" मुख्यमंत्री ने कुछ किया है ! पर वो कर बहुत कुछ सकते थे ! जिस अखबार समूह ने इस तरक्की की खबर जिस तरक्की से बता रहा है - जरा गौर फरमाए ! काफी दिनों से इस अखबार समूह के सभी संस्करण में "सड़क-निर्माण" की निविदाएँ छाप रही हैं - ५-६ पेज में ! जैसे ..पिपरा - कोठी के किसी गाँव के सड़क निर्माण का टेंडर - इस अखबार समूह के बंगलोर और मुंबई इत्यादी संस्करण में ढेर सारे " टेंडर" आये ! सड़क निर्माण मुख्यमंत्री को लगा होगा की मुंबई के ठेकेदार शायद मुखिया जी के गाँव का सड़क बनवा दें ! खैर... अब अखबार समूह का भी कर्तव्य बनता है - कुछ छापने का - खबर के रूप में ! वैसे एक बार आप ने सही कहा था की - नितीश जी "सड़क निर्माण" मुख्यमंत्री हैं ! वो बात बिलकुल सच्ची लगी ! विशेष ..तो इस वर्ष चुनाव भी है ! हो सकता है ...नितीश खुद कई ..."तिवारी" - "पाण्डेय" - "सिंह" को टिकट मिल जाए !
January 5, 2010 3:14 PM

हमार टिप्पा :- आयं , मुखिया जी , पहिले तो ई बताईये कि गोया ई प्रशंसा था कि खाली प्रशंसा के पैकिंग वाला सस्पेंशन और्डर था । सडक वाले सी एम , कमाल का एंगल है जी ई पर तो एक ठो बढिया सिनेमा बन सकता है .....बस आमिर खान बनाएं तो हिट होईये जाएगा । सब कुछे सडक पे, सडक पे विकास, सडक पे खेती, सडक पे मकान दुकान , अस्पताल, इस्कूल, सब कुछ सडक पे , फ़िर हम देश से अलग होने के लिए सडकांचल की मांग उठाएंगे ॥

डा अनुराग प्रशांत की छोटी सी दुनिया में बोले हैं जी :-
याद करने की कोशिश करता हूं पर याद नहीं आता .कुछ दिन पहले फार्मा इंडस्ट्री वाले कई सारे ग्रीटिंग लेकर आये थे बोले "सर "नए साल में किसी को भेजने हो ...मैंने कहा नहीं भाई .एस एम् एस की बेगारी बहुत है....अब तो लगता गई इश्क का इज़हार भी लिखे से नहीं होता होगा....

हमारा टिप्पा :-का डा. साहब , आजकल तो लोग इश्क का इजहार करने के लिए लिखते पढते कहां हैं हां सुना है कि ससुरे डायरेक्ट ही सनीमा ले जाते हैं और इंटरवल आते आते बोल डालते हैं बिंदास............आती क्या खंडाला। हां तो ठीक, वर्ना शहर में क्या सनीमा हाल की कमी है , मौर्निंग शो में न सही मैटिनी में ही सही, और ये वाली न सही वो वाली ही सही ॥





13 टिप्‍पणियां:

  1. "हमार टिप्पा :- हां हां संगीता जी चाहिए नरेंद्र मोदी जी का लिंक किसको नहीं चाहिए । ओईसे तो लाल अडवाणी न कहेंगे काहे से ऊ तो कह रहे हैं कि धत हमरा तो लुटिया डुबा दिहिस । कुछ आतंकवदिया सब भी कह रहा था कि हमही को लिंक दे दो ,केतना दिन से ढूंढ रहे हैं उनको उडाने के लिए । हमको तो लिंक खाली ई लिए चाहिए कि सोच रहे हैं गुजरात में एक ठो दोकान शुरू करें ...लिट्टी विथ ढोकला कौंबो पैक वाली स्कीम से । उनका लिंक रहेगा तो दुकानदारी बढिया जमेगा । और कौन कौन नेता का लिंक है आपके पास ।"

    टैण टैणेण...... झा जी बढ़िया लगा !

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  2. मुझे भी नहीं छोडा .. इतना बचबचकर टिप्‍पणी करती हूं .. फिर भी फंसी .. टैण टैणेण......

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  3. हमें तो भाई मजा आ गया टिप्पणियों के साथ टिप्पा पढ़कर!

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  4. बेहतरीन सटीक आनंद आ गया . रोचक प्रस्तुति.....आभार

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  5. टिप्‍पा विधा का ब्‍लॉगहित में स्‍वागत है। इस विधा में एक पाठ्यक्रम आरंभ किया जाये और प्राचार्य अजय झा जी को अलबेला खत्री जी द्वारा 50 हजार का नकद सम्‍मान। उन्‍हें नोट दिखने चाहियें स्‍वप्‍न में नहीं, असल में।

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  6. टिप्प्पा से अपुन हुआ फूल क कुप्पा

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  7. टिप्पा भी पढ के मजा आ गया ।

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  8. भैया झा जी, हम आपका नाम देख कर ही तो आते हैं ब्लाग पर, क्योंकि जानते हैं कि कुछ जानदार पढने को मिलेगा। जानदार, शानदार, ईमानदार.... :)

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  9. और हमें भी कहां चैन पडता है , जब तक आपका प्रसाद न मिल जाए टीप के रूप में सर

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  10. पर्दे में रहने दो पर्दा ना उठायो
    पर्दा जो उठ गया तो ...

    बी एस पाबला

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  11. आडी टिप्पा, आडी टिप्पा लाई रखदा
    झा जी स्पेशल मौज कराई रखदा...
    ( मतलब जानना है तो पाबला जी की सेवाएं ली जाएं)

    जय हिंद...

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  12. आज ही आपके ब्लॉग को देखा.............देरी के लिए क्षमा करियेगा.............
    इस बात पर सबसे पहले जो विचार आया वही लिखते हैं.............
    दे दनादन (पहले) ले दनादन (बाद में, आपसे)

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हमने तो आपकी टीपों पर एक टिप्पा धर दिया अब आपकी बारी है
कर दिजीये इस टिप्पा के ऊपर एक लारा लप्पा